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Rajasthan: शिक्षक की नौकरी पर संकट! हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की, जानें क्या था विवाद?"

Rajasthan News: राजस्थान की धरती, जो अपने रंग-रूप, संस्कृति और स्वाभिमान के लिए जानी जाती है, वहां इन दिनों एक शिक्षक और शिक्षा मंत्री के बीच छिड़े विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गर्मी बढ़ा दी है। शिक्षक शंभू...
08:34 PM Dec 18, 2024 IST | Rajesh Singhal

Rajasthan News: राजस्थान की धरती, जो अपने रंग-रूप, संस्कृति और स्वाभिमान के लिए जानी जाती है, वहां इन दिनों एक शिक्षक और शिक्षा मंत्री के बीच छिड़े विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गर्मी बढ़ा दी है। शिक्षक शंभू सिंह मेड़तिया, जिन्होंने खुले तौर पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को "पलटूराम" कहकर संबोधित किया और उनका पुतला जलाने का साहस किया, अब खुद एक बड़े संकट में घिर गए हैं। (Rajasthan News)हाई कोर्ट ने उनके निलंबन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए साफ संदेश दिया है कि सरकारी कर्मचारी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी सीमाएं हैं। इस प्रकरण ने लोकतंत्र, अनुशासन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच एक नई बहस छेड़ दी है। आइए, इस घटना की जड़ों में झांकते हैं और समझते हैं कि यह मामला क्यों इतना महत्वपूर्ण है।

शिक्षक के व्यवहार पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

जोधपुर हाईकोर्ट की जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने शिक्षक शंभू सिंह मेड़तिया के खिलाफ निलंबन पर सख्त रुख अपनाते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि एक शिक्षक का ऐसा व्यवहार कदाचार की श्रेणी में आता है, जिसके खिलाफ अनुशासनात्मक जांच अनिवार्य है। कोर्ट ने तर्क दिया कि माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष होने के नाते उनके पास अधिकारियों से मिलने और अनुचित दबाव डालने की संभावना थी। यदि उन्हें पद पर बने रहने दिया गया, तो जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और कर्मचारियों के बीच अनुशासनहीनता का गलत संदेश जाएगा।

मदन दिलावर के खिलाफ शिक्षक का प्रदर्शन

मामला तब शुरू हुआ जब शिक्षक और कर्मचारी नेता शंभू सिंह मेड़तिया ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर पर निजी स्कूलों का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए जोधपुर के सर्किट हाउस में प्रदर्शन किया। इसके साथ ही, शहर में होर्डिंग और पोस्टर लगाकर शिक्षा मंत्री को "पलटूराम" कहने का दुस्साहस किया। शंभू सिंह ने आरोप लगाया कि मंत्री ने सरकार बनने के बाद सात बार आदेश जारी किए, लेकिन सभी को पलट दिया। इस घटना के बाद शिक्षा विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया।

राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से नाम हटाने का विवाद

शंभू सिंह का नाम राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार की सूची में शामिल था। हालांकि, उनके शिक्षा मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन की जानकारी सामने आने के बाद सूची से उनका नाम हटा दिया गया। इस फैसले ने शिक्षक संघ और शिक्षा विभाग के बीच तनाव को और बढ़ा दिया।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम अनुशासन का सवाल

सरकारी वकील ने दलील दी कि एक सरकारी कर्मचारी को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह राज्य के मंत्री पर निराधार आरोप लगाते हुए अनुचित भाषा का उपयोग करे। यह राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम 1971 के तहत कदाचार है।

छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता

हाईकोर्ट ने इस मामले में यह भी सवाल उठाया कि एक शिक्षक का ऐसा आचरण उन छात्रों पर क्या प्रभाव डालेगा, जो उसे अपना आदर्श मानते हैं। अदालत ने कहा कि शिक्षक का आचरण न केवल उनके पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह छात्रों और समाज में अनुशासनहीनता का भी संदेश देता है।

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