• ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

ठोक दो' से लेकर 'चीयर लीडर्स' तक... राजस्थान की सियासत में गिरती नेताओं की जुबानी

Rajasthan Politics: राजस्थान के हालिया उपचुनावों ने राजनीति के एक नए और बेहद चौंकाने वाले पहलू को उजागर किया है। जहां एक ओर चुनावी मुद्दों की बजाय गहरी समस्याओं पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई, वहीं दूसरी ओर नेताओं के...
featured-img

Rajasthan Politics: राजस्थान के हालिया उपचुनावों ने राजनीति के एक नए और बेहद चौंकाने वाले पहलू को उजागर किया है। जहां एक ओर चुनावी मुद्दों की बजाय गहरी समस्याओं पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई, वहीं दूसरी ओर नेताओं के बीच शब्दों की बर्बादी और गाली-गलौच का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसने राजनीति को महज एक तमाशा बना दिया। (Rajasthan Politics) बिना किसी शर्म या संकोच के, राजनेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसे देख और सुन कर जनता हैरान रह गई। हालांकि, इस नौटंकी का असर यह हुआ कि लोग अपनी समस्याओं को छोड़कर, नेताओं की जुबानी जंग पर ज्यादा चर्चा करने लगे। क्या यह राजनीति की गिरावट का संकेत है, या फिर यह महज चुनावी रणनीति का हिस्सा?

नाच-गाने के बीच जनता की समस्याएं हुईं नजरअंदाज

राजस्थान में हाल ही में हुए उपचुनाव में नेताओं का ध्यान नाचने-गाने पर ज्यादा था, जिससे जनता की मूलभूत समस्याएं हवा में उड़ गईं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपनी सरकार की वाहवाही की, लेकिन वह जनता के बीच असरदार साबित नहीं हो सके। उपचुनाव का माहौल जातिवाद और वैमनस्यता के कारण गंदा हो गया, और विपक्षी दल भी अपने ही नेताओं के खिलाफ बगावत करने में व्यस्त रहे।

खींवसर और झुंझुनूं में सांसदों की विफलता

खींवसर और झुंझुनूं में उपचुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों को कोई खास फर्क नहीं पड़ा। कई प्रभावी नेताओं ने अपने परिवार के सदस्य को विधानसभा में लाने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे। मंत्री डॉ. किरोडी लाल मीणा भी अपने भाई को दौसा से विधायक बनाने में असफल रहे।

'सुपर जाट नेता' की राजनीति में गिरावट

हनुमान बेनीवाल को खींवसर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जिससे राजस्थान में उनके राजनीतिक प्रभाव को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस ने गठबंधन तोड़कर उन्हें हरा दिया और उनके खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया गया।

राजनेताओं की विवादित बयानबाजी

राजनीति में बयानबाजी का स्तर और भी गिर गया है। प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने अधिकारियों को "ठोकने" की बात की, जबकि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पीसीसी प्रमुख डोटासरा को 'चीयर लीडर्स' का पुरुष वर्जन बताया। इस प्रकार की बयानबाजी ने राजस्थान की राजनीतिक संस्कृति को बिहार और उत्तर प्रदेश की श्रेणी में खड़ा कर दिया है।

यह भी पढ़ें: मंत्रियों के घर तोड़फोड़ करो, 50 लाख देंगे! गुंजल के बयान ने थप्पड़कांड को नया ट्विस्ट दिया

यह भी पढ़ें: बाइक सवार को बचाने में हुआ हादसा! सांसद राजकुमार की गाड़ी पलटी, कोई गंभीर चोट नहीं

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज़ tlbr_img4 वीडियो