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सदन में कुर्सियां खाली, राजनीति गरम! गहलोत बोले...सरकार का रवैया अड़ियल, विपक्ष से बात तक नहीं कर रही

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष का अहंकार लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है।
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Rajasthan Congress Protest :राजस्थान  में सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव अब नए स्तर पर पहुंच गया है। गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष का अहंकार लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। उन्होंने सरकार को संवाद से भागने वाली और तानाशाही रवैया अपनाने वाली सरकार करार दिया।(Rajasthan Congress Protest) गहलोत का कहना है कि जब कांग्रेस ने स्पीकर से खेद जताने तक की पेशकश कर दी, तो फिर सरकार किस बात के लिए अड़ी हुई है?

इंदिरा गांधी पर टिप्पणी से गरमाई राजनीति

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस अपनी नाराजगी खत्म करने के मूड में नहीं दिख रही। कांग्रेस ने इसे सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री के अपमान और विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश बताया है। कांग्रेस का कहना है कि जब तक सरकार इस टिप्पणी पर सफाई नहीं देती या मंत्री अपने बयान पर माफी नहीं मांगते, तब तक कांग्रेस सदन में प्रवेश नहीं करेगी।

क्या विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है सरकार?

गहलोत ने सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पहली बार राजस्थान की राजनीति में ऐसा देखने को मिल रहा है कि सरकार विपक्ष को पूरी तरह अनसुना कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सत्ता पक्ष विपक्ष को दरकिनार कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को एकपक्षीय बनाना चाहता है? कांग्रेस ने इसे सिर्फ सदन का गतिरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला करार दिया है।

विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे कांग्रेस नेता। कांग्रेस विधायक आज भी विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

टीकाराम जूली का भाषण अटका

बजट बहस में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का भाषण होगा या नहीं, यह अब पूरी तरह से सरकार की मंशा पर निर्भर करता है। कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि जब तक गतिरोध नहीं टूटता, तब तक हम किसी भी सत्र में भाग नहीं लेंगे। अगर ऐसा हुआ तो राजस्थान विधानसभा में एक बार फिर बिना मुख्य विपक्षी दल के बहस होने की दुर्लभ स्थिति बन जाएगी।

क्या सरकार विपक्ष को अलग-थलग कर बजट पर जवाब देगी?


अगर सरकार कांग्रेस को मनाने में नाकाम रहती है, तो इतिहास में एक अनोखी मिसाल बनेगी, जहां बजट बहस का जवाब मुख्य विपक्षी दल की गैरमौजूदगी में दिया जाएगा। ऐसा पहले कम ही हुआ है जब वित्त मंत्री का बजट भाषण विपक्ष के बिना हुआ हो। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार बिना किसी राजनीतिक संतुलन के, विपक्ष को नजरअंदाज कर सत्ता चलाना चाहती है?

 कांग्रेस सड़कों पर उतरने को तैयार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सरकार ने बातचीत की पहल नहीं की, तो कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है। संभव है कि कांग्रेस सदन के बाहर बड़ा जन आंदोलन खड़ा करे, गवर्नर से हस्तक्षेप की मांग करे या प्रदेशव्यापी प्रदर्शन की रणनीति अपनाए। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान में सत्ता और विपक्ष के बीच यह सियासी जंग अब कितना लंबा खिंचती है।

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