Rajasthan By-Election Result 2024: रिजल्ट काउंटडाउन!छह सीटों पर पहली बार विधायक चुनने का इंतजार, सियासी भविष्य दांव पर
Rajasthan By-Election Result 2024: राजनीति के मंच पर हर चुनाव अपने साथ नई संभावनाओं और चुनौतियों की बयार लेकर आता है। राजस्थान की सात सीटों पर हुए उपचुनाव इसका सटीक उदाहरण हैं।( Rajasthan By-Election Result 2024) 23 नवंबर का दिन भारतीय राजनीति के लिए खास होगा, जब राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम एक साथ सामने आएंगे। इन परिणामों से न केवल इन राज्यों की राजनीतिक दिशा तय होगी, बल्कि देश की सियासी तस्वीर पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
चुनाव आयोग ने मतगणना की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। सुबह 8 बजे से डाक मतपत्रों की गिनती से प्रक्रिया शुरू होगी और उसके तुरंत बाद ईवीएम के मतों की गिनती होगी। जैसे-जैसे सुबह के घंटे बढ़ेंगे, शुरुआती रूझान सामने आएंगे, जो जनता की उम्मीदों और राजनीतिक दलों की रणनीतियों का अंदाजा लगाने में मदद करेंगे। यह चुनाव केवल जीत-हार का सवाल नहीं, बल्कि जनता के विश्वास, विकास की दिशा और लोकतंत्र के मजबूत होने का प्रतीक भी है।
सियासी मुकाबले में सात सीटों का महत्व
राजस्थान में 13 नवंबर को सात विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ। दौसा, झुंझुनूं, चौरासी, रामगढ़, सलूम्बर, देवली-उनियारा और खींवसर इन चुनावी रणभूमियों में शामिल रहीं। इन सीटों पर मुकाबले ने प्रदेश की राजनीति को नई दिशा देने का काम किया है। सबसे ज्यादा मतदान खींवसर और सबसे कम दौसा में दर्ज किया गया।
त्रिकोणीय और सीधा मुकाबला
इन सात सीटों में से चार पर त्रिकोणीय और तीन पर0`1 बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला। कांग्रेस पहले से चार सीटों पर काबिज थी, जबकि बीजेपी, आरएलपी और बीएपी के पास एक-एक सीट थी। परिणाम न केवल इन दलों की स्थिति तय करेंगे, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी संकेत देंगे।
दौसा: किरोड़ी लाल- सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर
दौसा सीट पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट और मंत्री किरोड़ी लाल की साख दांव पर है। भाजपा के जगमोहन मीणा और कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा पहली बार विधानसभा पहुंचने के लिए मुकाबला कर रहे हैं। यह सीट कांटे के मुकाबले की वजह से खास बनी हुई है।
झुंझुनूं: ओला परिवार और गुढ़ा का प्रभाव
झुंझुनूं सीट पर भाजपा के राजेन्द्र भाम्बू और कांग्रेस के अमित ओला के बीच संघर्ष है। यह सीट ओला परिवार के लिए महत्वपूर्ण है, जहां अमित ओला के पिता और दादा पहले मंत्री और विधायक रह चुके हैं। निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र गुढ़ा भी यहां समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
सलूम्बर: त्रिकोणीय मुकाबले का मैदान
सलूम्बर में भाजपा की शांता देवी, कांग्रेस की रेशमा मीणा और बीएपी के जितेश के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां भी जो भी जीतेगा, पहली बार विधानसभा पहुंचेगा।
देवली-उनियारा: विवादों के बाद रोमांचक मुकाबला
देवली-उनियारा में भाजपा के राजेन्द्र गुर्जर, कांग्रेस के केसी मीणा और निर्दलीय नरेश मीणा के बीच मुकाबला है। यहां चुनाव के दौरान विवाद और हिंसा की घटनाओं ने सीट को हॉट सीट बना दिया है।
रामगढ़: सहानुभूति की लहर
रामगढ़ सीट पर भाजपा के सुखवंत सिंह और कांग्रेस के आर्यन जुबेर खान के बीच सीधा मुकाबला है। जुबेर खान के निधन के बाद सहानुभूति लहर के चलते यह सीट चर्चा में है।
चौरासी: बाप की बढ़त का अनुमान
आदिवासी बाहुल्य चौरासी सीट पर भाजपा के कारीलाल ननोमा, कांग्रेस के महेश रोत और बीएपी के अनिल कटारा के बीच संघर्ष है। यहां बाप प्रत्याशी के मजबूत स्थिति में होने का अनुमान है।
खींवसर: बेनीवाल परिवार का प्रभाव
खींवसर सीट पर भाजपा के रेवतराम डांगा, आरएलपी की कनिका बेनीवाल और कांग्रेस की डॉ. रतन चौधरी के बीच मुकाबला है। यह सीट आरएलपी के नेता हनुमान बेनीवाल की परंपरागत सीट है, और उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है।
नतीजों पर टिकी हैं सबकी निगाहें
इन सीटों पर चुनावी परिणाम कई दलों और नेताओं की राजनीतिक दिशा तय करेंगे। परिणामों से यह स्पष्ट होगा कि जनता किस पर भरोसा जताती है और प्रदेश की राजनीति का अगला अध्याय किस ओर मुड़ता
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