Rajasthan By-Election Result: किरोड़ी मीणा की चुप्पी टूटी, जानिए कौन हैं उनके 'पराजय' के असली गुनहगार!
Rajasthan By-Election Result 2024:राजस्थान के सात विधानसभा सीटों में हुए उपचुनाव में बीजेपी को पांच सीटों पर जीत मिली, लेकिन सबसे बड़ा झटका किरोड़ी लाल मीणा को दौसा विधानसभा सीट पर हार से लगा। जहां उनके छोटे भाई जगमोहन मीणा चुनावी मैदान में थे, वहीं किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी पूरी ताकत इस सीट पर झोंक दी थी, लेकिन इस सब के बावजूद दौसा सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई। इस हार ने न केवल मीणा परिवार को गहरे राजनीतिक संकट में डाल दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया कि क्या पार्टी की अंदरूनी राजनीति और परिवारवाद अब जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा।
किरोड़ी लाल मीणा की प्रतिक्रिया और उनके दिल का दर्द
दौसा सीट पर हार के बाद किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी प्रतिक्रिया दी और इसका गहरा असर उनकी आवाज में महसूस हुआ। उन्होंने अपने संघर्ष, बलिदान और परिवार के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए हार का दर्द भी बयां किया। उनका यह बयान न केवल उनकी निजी चोट को दर्शाता है, बल्कि राजनीतिक रिश्तों और निष्ठा की महत्ता को भी पुनः रेखांकित करता है।
संघर्ष की दास्तां और राजनीति में अपनों से मिले घाव
दौसा विधानसभा सीट की हार के बाद, किरोड़ी लाल मीणा ने अपने राजनीतिक जीवन के संघर्ष को बयान किया। यह हार उनके लिए केवल एक चुनावी नतीजा नहीं बल्कि परिवार और पार्टी के भीतर की जटिलताओं का भी प्रतीक बन गई। मीणा ने अपने बयान में कहा कि राजनीति में उन्होंने हमेशा जनहित में संघर्ष किया, लेकिन अंत में यह संघर्ष अपनों से ही धोखे का शिकार हुआ।
रामायण के पात्रों से जोड़ते हुए मीणा ने व्यक्त किया दर्द
किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी हार को रामायण के पात्रों से जोड़ते हुए कहा, "भितरघाती मेरे सीने में वाणों की वर्षा कर देते तो मैं दर्द को सीने में दबा कर दफन कर देता, लेकिन उन्होंने मेघनाथ बनकर मेरे लक्ष्मण जैसे भाई पर शक्ति का बाण चला डाला।" यह बयान केवल राजनीति में रिश्तों की गहराई को नहीं बल्कि उनके व्यक्तिगत दर्द को भी दर्शाता है।
45 साल हो गए। राजनीति के सफर के दौरान सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। जनहित में सैंकड़ों आंदोलन किए। साहस से लड़ा। बदले में पुलिस के हाथों अनगिनत चोटें खाईं। आज भी बदरा घिरते हैं तो समूचा बदन कराह उठता है। मीसा से लेकर जनता की खातिर दर्जनों बार जेल की सलाखों के पीछे रहा। 1/6 pic.twitter.com/pKZdu5BVNv
— Dr. Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) November 23, 2024
स्वाभिमानी नेता की सच्चाई: चाटुकारिता से दूर
किरोड़ी लाल मीणा ने यह भी कहा कि उन्हें एक कमी यह रही कि उन्होंने चाटुकारिता नहीं की। इस प्रवृत्ति ने उन्हें राजनीति में कई बार नुकसान पहुंचाया, लेकिन वह आज भी संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए कृतसंकल्पित हैं। उनका कहना है कि गरीब, मजदूर, और किसान के हक के लिए वे हमेशा काम करते रहेंगे, भले ही उन्हें इसके लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़े।
परिवार के लिए ऋण और अपनी लड़ाई का दर्द
किरोड़ी लाल मीणा ने अपने भाई के प्रति ऋण की बात की और कहा कि वह अपने भाई जगमोहन मीणा को जीत दिलाने के लिए अपना सब कुछ झोंकने के बावजूद नाकाम रहे। इस हार ने उनके दिल में एक गहरी पीड़ा छोड़ दी है, जिसे वह हमेशा महसूस करेंगे।
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