Rajasthan By-Election Result: कांग्रेस की उपचुनाव में हार! 6 सीटें क्यों गवां दी? जानिए इसके पांच बड़े कारण!
Rajasthan By-Election Result 2024: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव के सात सीटों के नतीजों ने प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है। जहां बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पांच सीटों पर जीत दर्ज की, (Rajasthan By-Election Result 2024)वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन अब तक के सबसे खराब उपचुनावों में से एक रहा।
बीजेपी की इस जीत का श्रेय मुख्यमंत्री भजनलाल और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के नेतृत्व को दिया जा रहा है।इन नतीजों ने प्रदेश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक समीकरणों को झकझोर दिया है। बीजेपी जहां अपनी इस जीत को लेकर उत्साहित है, वहीं कांग्रेस अंदरूनी खींचतान और नेतृत्व के सवालों से जूझ रही है। पार्टी को 6 सीटों पर हार की जिम्मेदारी तय करने में कठिनाई हो रही है, जिससे आंतरिक विवाद और गहराने की संभावना है। आगामी विधानसभा चुनावों की दृष्टि से यह उपचुनाव दोनों दलों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जिसने प्रदेश की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित किया है।
बीजेपी की बड़ी जीत, कांग्रेस और RLP को झटका
राजस्थान के उपचुनाव परिणाम आ चुके हैं, और इसमें बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 5 सीटों पर जीत हासिल की। बीजेपी ने झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, सलूंबर, और रामगढ़ में जीत का परचम लहराया है। वहीं, कांग्रेस को केवल दौसा सीट पर ही जीत मिली है, जबकि बाप पार्टी को चौरासी में सफलता मिली है।
कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन
इन उपचुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है, क्योंकि 2023 के विधानसभा चुनाव में इन सात सीटों में से कांग्रेस के पास चार सीटें थीं। अब, परिणाम के बाद कांग्रेस केवल दौसा सीट पर कब्जा बनाए रख पाई है, जबकि बाकी सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस को झुंझुनूं, देवली-उनियारा और रामगढ़ में हार मिली है, जो पार्टी के लिए बड़ा झटका है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को भी इस उपचुनाव में नुकसान हुआ है, और उसे अपनी एक सीट गंवानी पड़ी है।
कांग्रेस की हार के पांच सबसे बड़े कारण
नेताओं के बीच तालमेल की कमी
कांग्रेस में इस उपचुनाव में बड़े नेताओं के बीच तालमेल का घोर अभाव देखा गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एकसाथ चुनाव प्रचार करते हुए कहीं भी नजर नहीं आए। इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा, क्योंकि उनके समर्थक भी अलग-अलग नजर आए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा प्रचार करते हुए दिखे, लेकिन उन्हें गहलोत और पायलट का समर्थन नहीं मिला, जिससे चुनावी प्रबंधन प्रभावित हुआ।
टिकट वितरण में परिवारवाद और जातिवाद का प्रभाव
कांग्रेस ने टिकटों के वितरण में गंभीरता नहीं दिखाई, और आरोप लगा कि पार्टी ने जनभावनाओं के बजाय परिवारवाद और जातिवाद को प्राथमिकता दी। इससे कई नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण झुंझुनूं और देवली-उनियारा सीट पर देखने को मिला, जहां निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस के चुनावी खेल को बिगाड़ दिया।
गठबंधन का न होना
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छोटे दलों से गठबंधन किया था, जिससे उसे लोकसभा की तीन सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इस उपचुनाव में कांग्रेस ने गठबंधन की ओर कदम नहीं बढ़ाया, जिसका नतीजा पार्टी को नुकसान उठाने के रूप में सामने आया।
गुटबाजी का मुद्दा
कांग्रेस में गुटबाजी एक पुराना मुद्दा है, जिसने पार्टी को कई बार नुकसान पहुंचाया है। इस उपचुनाव में भी यही स्थिति रही। गुटबाजी के कारण कांग्रेस पार्टी को एकजुट होकर काम करने में कठिनाई आई, और इसका सीधा असर चुनावी प्रदर्शन पर पड़ा।
मुद्दों पर कमजोर प्रदर्शन
कांग्रेस का मुद्दों पर कमजोर प्रदर्शन भी हार का एक बड़ा कारण रहा। राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद, कांग्रेस भजनलाल सरकार को घेरने में नाकाम रही। साथ ही, कई नेताओं को टिकट नहीं मिलने के कारण वे विरोध में आ गए, जिसने पार्टी की छवि को और नुकसान पहुँचाया।
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