Rajasthan: डोटासरा का गमछा डांस!बीजेपी को मिली चुनौती? क्या कांग्रेस राजस्थान में सियासी दबदबा बना पाएगी!
Rajasthan By-Election 2024: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के भीतर 2020 में एक सियासी हलचल मच गई थी, जब डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को अल्पमत में (Rajasthan By-Election 2024)होने का दावा किया और साथ में 19 विधायकों का समर्थन लेकर मानेसर के रिसॉर्ट में डेरा डाल दिया। यह संकट केवल सरकार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कांग्रेस संगठन में भी खलबली मच गई।
उस समय पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, लेकिन बगावत के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया और उनकी जगह गोविंद सिंह डोटासरा को 14 जुलाई 2020 को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। प्रारंभ में, यह माना गया था कि डोटासरा को गहलोत का करीबी होने के कारण पार्टी में उनकी स्थिति कमजोर होगी और गहलोत ही संगठन और सरकार में अपना प्रभाव बनाए रखेंगे। लेकिन कुछ ही समय में डोटासरा ने अपनी कार्यशैली से सभी को गलत साबित कर दिया और कांग्रेस में अपना दबदबा कायम किया। क्या डोटासरा की यह सफलता कांग्रेस के लिए भविष्य में और सियासी बदलाव लाएगी? यह सवाल आज भी राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
क्या राजस्थान के उपचुनावों में डोटासरा फिर से दिखा पाएंगे अपनी पकड़?
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने एक बार फिर राजनीतिक चुनौती खड़ी है, और यह सवाल उठ रहा है कि क्या वह लोकसभा चुनाव में किए गए शानदार प्रदर्शन को दोहरा पाएंगे।
12 जुलाई 2020 को सचिन पायलट की बगावत और अशोक गहलोत सरकार की स्थिरता संकट में पड़ने के बाद कांग्रेस ने डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। अब, उपचुनाव में उनकी रणनीति और खासकर गमछा डांस पर ध्यान केंद्रित हो रहा है।
लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अप्रत्याशित रूप से अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी ने 25 में से 11 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें सहयोगी दलों का भी योगदान रहा।
यह परिणाम कांग्रेस के लिए बेहद उत्साहजनक था, खासकर पिछले दस वर्षों से लोकसभा में पार्टी का खाता नहीं खुला था। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या डोटासरा की रणनीतियां इस बार भी सफल होंगी?
गमछा डांस..डोटासरा की चुनावी रणनीति या केवल मनोरंजन?
8 नवंबर को अलवर के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में डोटासरा ने मंच पर गमछा लहराते हुए डांस किया, जिससे सभा में जोश का माहौल बना। यह दृश्य कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह फैलाने में सफल रहा।
हालांकि, विपक्षी नेताओं ने इसे केवल मनोरंजन करार दिया। बीजेपी के सतीश पूनिया ने डोटासरा को "आइटम बॉय" बताया, जबकि हनुमान बेनीवाल ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि गमछा घुमा कर नाचने से चुनावी मैदान में कोई फर्क नहीं पड़ता।
आखिर क्या होगा डोटासरा का भविष्य?
कांग्रेस के सामने उपचुनाव में कुछ अहम सीटों पर चुनौती है, जिनमें सलूंबर जैसी सीटें शामिल हैं, जो पहले बीजेपी के पास थी। यदि कांग्रेस इन सीटों पर जीत हासिल करती है, तो इसका सीधा असर डोटासरा के राजनीतिक कद पर पड़ेगा।
लेकिन विपक्षी आलोचनाओं के बावजूद, यह देखना होगा कि डोटासरा के "गमछा डांस" से क्या वाकई कांग्रेस को फायदा होता है या यह सिर्फ एक लोकप्रियता की चाल साबित होगी।
कांग्रेस के लिए यह निर्णायक समय
कांग्रेस के लिए यह समय बेहद निर्णायक है, और अगर डोटासरा के नेतृत्व में पार्टी उपचुनावों में बड़ी जीत दर्ज करती है, तो यह उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि होगी।
वहीं, अगर परिणाम इसके विपरीत आते हैं, तो यह उनकी रणनीति और नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े कर सकता है।
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