राजस्थान में सड़कों पर गड्ढे, विधानसभा में सियासी उबाल! सरकार और विपक्ष की जुबानी जंग
Rajasthan Budget Session: राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को सत्ता परिवर्तन के बाद से राज्य की सड़कों की हालत को लेकर तकरार तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि सड़कों की दुर्दशा पिछली सरकार की "विरासत" है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सत्ता परिवर्तन के साथ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी तेज हो गया है। (Rajasthan Budget Session) हालांकि....सवाल यह उठता है कि जब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक यह समस्या जस की तस बनी रहेगी। हर नई सरकार पिछली सरकार की खामियों को उजागर करने में व्यस्त रहती है, लेकिन अब जनता को समाधान चाहिए। क्या आने वाले समय में इस समस्या का स्थायी समाधान मिलेगा, या फिर यह सिर्फ बयानबाजी का मुद्दा बनकर रह जाएगा?
सड़कों पर राजनीति... गड्ढे किसकी विरासत?
उधर, सड़कों की दुर्दशा पर बहस छिड़ी, तो उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने इसे पिछली सरकार की "विरासत" बताकर पल्ला झाड़ लिया। यह बयान सत्ता परिवर्तन के साथ जुड़ी सामान्य राजनीतिक कवायद लगती है, क्योंकि सत्ता में आते ही हर सरकार पिछली सरकार की नाकामियों को गिनाने में ज्यादा दिलचस्पी लेती है बजाय ठोस समाधान देने के। सवाल यह है कि यदि गड्ढे विरासत में मिले थे, तो क्या जनता को समाधान भी इसी गति से मिलेगा, या सिर्फ बयानबाजी ही चलेगी?
सत्ता का समीकरण और जिला नीति
गहलोत सरकार के कार्यकाल में राजस्थान को 50 जिलों की सौगात मिली थी, जो कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी रणनीति का हिस्सा मानी गई थी। लेकिन अब भाजपा सरकार के आने के बाद कुछ जिलों को खत्म करने का फैसला यह दर्शाता है कि यह केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक फैसला भी है। कांग्रेस विधायकों का आरोप है कि जिलों के पुनर्गठन में तटस्थ प्रशासनिक आधार के बजाय "राजनीतिक लाभ-हानि" का गणित ज्यादा चला है।
हंगामे की राजनीति बनाम ठोस फैसले
विधानसभा में कांग्रेस का आक्रामक रुख दिखाता है कि वे पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के फैसलों की निरंतरता चाहते हैं, जबकि भाजपा इसे नए सिरे से परिभाषित करना चाहती है। कांग्रेस विधायक सुरेश मोदी और रामकेश मीणा का कहना है कि पंवार कमेटी ने सभी जिलों का दौरा किया, लेकिन नीमकाथाना को नजरअंदाज किया गया, जिससे पूर्वाग्रह की बू आती है। यह सवाल महत्वपूर्ण है कि यदि सरकार प्रशासनिक तर्क दे रही है, तो क्या सभी जिलों के लिए समान प्रक्रिया अपनाई गई?
साइबर क्राइम और विपक्ष पर तंज
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने जब साइबर क्राइम थानों की उपयोगिता पर सवाल उठाया, तो स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इसे नेता प्रतिपक्ष के क्षेत्र (मेवात) से जोड़ते हुए हमला बोला। यह बयान बताता है कि अब कानून-व्यवस्था के मुद्दे भी राजनीतिक खेमों में बंट चुके हैं। विपक्ष साइबर क्राइम थानों को "नाकाम" बता रहा है, तो सरकार इसे अपराध के क्षेत्रीय पहलुओं से जोड़कर अपनी ज़िम्मेदारी को सीमित करने की कोशिश कर रही है।
स्पीकर पर सवाल और सरकार के भीतर असंतोष
विधानसभा में हंगामे का दूसरा बड़ा कारण मंत्रियों का खुद स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाना रहा। जब खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने स्पीकर के फैसले पर आपत्ति जताई, तो यह संकेत मिला कि सरकार के भीतर भी तालमेल की कमी है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार खुद अपने ही फैसलों को लेकर आश्वस्त नहीं है, या फिर यह सत्ता के भीतर शक्ति संतुलन को लेकर कोई आंतरिक संघर्ष है?
यह भी पढ़ें :सदन में घमासान! ‘कान की डाट खोलकर बैठें नेता प्रतिपक्ष’, वन राज्य मंत्री ने कहा… “सब जांच होगी!”
यह भी पढ़ें : Rajasthan: ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी का CM भजनलाल को लेटर, सहानुभूति की सिफारिश ! जानें क्या है मामला?