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राजस्थान बना देश का सातवां सबसे कर्जदार राज्य! हर नागरिक पर ₹80,000 का कर्ज! अब क्या करेगी भजनलाल सरकार?

राजस्थान की भजनलाल सरकार विधानसभा में नए बजट को पेश करने की तैयारी में जुटी है।
01:21 PM Feb 05, 2025 IST | Rajesh Singhal

Rajasthan Budget Session :राजस्थान की भजनलाल सरकार विधानसभा में नए बजट को पेश करने की तैयारी में जुटी है। प्रदेश के हर वर्ग को इस बजट से उम्मीदें हैं....कोई राहत चाहता है तो कोई विकास की नई योजनाएं। लेकिन सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी है....कर्ज का बढ़ता बोझ और धीमी राजस्व वृद्धि।

राजस्थान पहले ही देश के टॉप-10 कर्जदार राज्यों में शामिल है और अब यह सातवें स्थान पर पहुंच चुका है। राज्य पर कुल कर्ज 6.40 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि जीडीपी का 39% हिस्सा कर्ज में डूबा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह आंकड़ा और बढ़ा, तो राज्य की वित्तीय स्थिति गंभीर हो सकती है। (Rajasthan Budget Session)ऐसे में सरकार के लिए यह बजट सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं रह सकता...यह कर्ज और वित्तीय प्रबंधन के इम्तिहान की घड़ी भी है। क्या सरकार इस संकट से उबरने का कोई रास्ता निकाल पाएगी, या कर्ज का यह पहाड़ और ऊंचा होता जाएगा?

रेवेन्यू कलेक्शन का 14% ब्याज में जा रहा

आर्थिक मामलों के जानकार और सीए पंकज घीया के अनुसार, राजस्थान पर वर्तमान में 6.40 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इसका सीधा असर राज्य के राजस्व संग्रहण पर पड़ रहा है, जहां कुल ग्रॉस रेवेन्यू कलेक्शन का 14% हिस्सा केवल ब्याज चुकाने में चला जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, हर व्यक्ति पर औसतन 80,000 रुपये का कर्ज है। प्रदेश की GDP का 39% कर्ज से जुड़ा हुआ है, जो वित्तीय स्थिरता के लिहाज से एक बड़ी चिंता का विषय बन सकता है।

कर्ज से विकास संभव, लेकिन समझदारी जरूरी

पंकज घीया का मानना है कि कर्ज लेना गलत नहीं है, बल्कि यह विकास के लिए एक आवश्यक पहलू है। इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण और आर्थिक प्रगति के लिए कर्ज की जरूरत पड़ती है, लेकिन उसका सही प्रबंधन जरूरी है। अगर ब्याज भुगतान का अनुपात 14% से बढ़कर 18-19% तक पहुंच जाता है, तो यह राज्य की वित्तीय स्थिति को और अधिक प्रभावित कर सकता है।

बढ़ता कर्ज...विकास के लिए खतरा

यदि राजस्थान सरकार ज्यादा लोन लेती है, तो ब्याज चुकाने की राशि भी बढ़ेगी, जिससे आधारभूत विकास परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। अगर सरकार हर 1 रुपये के टैक्स कलेक्शन में से 15-19 पैसे ब्याज में देने लगेगी, तो नई परियोजनाओं पर असर पड़ेगा। केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए कर्ज लेने की एक लिमिट तय कर रखी है, जिससे ज्यादा उधारी लेना संभव नहीं होगा।

तय सीमा के करीब राजस्थान...खतरा बढ़ा

राजस्थान पहले से ही केंद्र सरकार द्वारा तय की गई कर्ज सीमा के बेहद करीब है। अगर यह सीमा पार होती है, तो केंद्र सरकार ओवरड्राफ्ट लिमिट (OD Limit) फ्रीज कर सकती है, जिससे राज्य की वित्तीय क्षमता और आधारभूत ढांचे के विकास पर सीधा असर पड़ेगा।

"भाजपा सरकार ने लिया सबसे ज्यादा कर्ज" 

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि हर सरकार कर्ज लेती है, लेकिन इस बार कर्ज का बोझ अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने अब तक का सबसे ज्यादा कर्ज लिया है। जूली ने यह भी कहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में पिछले 10 सालों में जितना कर्ज लिया गया, वह पिछले 65 सालों में भी नहीं लिया गया था। उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि आम जनता से टैक्स वसूलकर कर्ज लिया जा रहा है, लेकिन इसका फायदा कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिल रहा है, जिससे सरकार घाटे में जा रही है।

अब सवाल यह है कि बजट 2025 में भजनलाल सरकार इस कर्ज संकट से कैसे निपटेगी? क्या कोई ठोस योजना बनेगी या राज्य की वित्तीय स्थिति और बिगड़ेगी?

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