बिजली कटौती, महंगी दरों और सरकार की चुप्पी पर टीकाराम जूली का वार...'ये कौन सा विकास मॉडल?
Rajasthan Assembly Budget Session: राजनीति में सत्ता और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला हमेशा चलता रहता है। लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए विपक्ष की भूमिका अहम होती है। हाल ही में प्रदेश में बिजली संकट को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसकी नीतियों और कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
टीकाराम जूली ने सरकार पर लापरवाही और कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में बिजली की हालत बेहद खराब है, लेकिन सरकार के पास इससे निपटने की कोई ठोस योजना नहीं है। (Rajasthan Assembly Budget Session)उन्होंने कहा कि यह सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ने में जुटी है, जबकि उसकी खुद की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। जूली ने आरोप लगाया कि विधानसभा सत्र के दौरान भी सरकार बिजली संकट पर चर्चा से बच रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा बार-बार मुद्दा उठाने के बावजूद सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए सदन से भागने की तैयारी कर चुकी है।
किसान, व्यापारी और आम जनता पर पड़ेगा असर...
जूली ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण प्रदेश में बिजली आपूर्ति बुरी तरह चरमरा सकती है, जिससे किसान, व्यापारी और आम उपभोक्ता प्रभावित होंगे। खेती के लिए आवश्यक बिजली उपलब्ध न होने से किसान संकट में आएंगे, वहीं उद्योगों को महंगी बिजली के कारण नुकसान उठाना पड़ेगा। घरेलू उपभोक्ताओं को भी लगातार कटौती और कम वोल्टेज जैसी परेशानियों से जूझना पड़ेगा।
औद्योगिक बिजली दरें आसमान पर...
जूली ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि राजस्थान उन राज्यों में शामिल है जहां औद्योगिक बिजली दरें सबसे अधिक हैं। गुजरात की तुलना में राजस्थान में लगभग ₹3 प्रति यूनिट महंगी बिजली मिल रही है, जिससे यहां निवेश करना मुश्किल हो रहा है। सरकार "राइजिंग राजस्थान" के खोखले दावों में मशगूल है, जबकि सच्चाई यह है कि महंगी बिजली दरों के कारण निवेशक प्रदेश से मुंह मोड़ सकते हैं।
सदन में बहस से भाग रही सरकार
जूली ने आरोप लगाया कि सरकार बिजली संकट पर चर्चा करने से बच रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने बार-बार इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा की मांग की, लेकिन सरकार जवाब देने के बजाय अपनी नाकामी छिपाने में जुटी है। अगर समय रहते इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो प्रदेश को बड़े स्तर पर बिजली संकट का सामना करना पड़ेगा और जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
बिजली संकट से उत्पन्न होगी अराजकता...
जूली ने चेतावनी दी कि बढ़ती मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन न बना पाने के कारण प्रदेश में बिजली कटौती, ट्रिपिंग और वोल्टेज की समस्याएं बढ़ेंगी, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर कब तक प्रदेश महंगी दरों पर बिजली खरीदकर काम चलाएगा? उन्होंने मांग की कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाए और प्रदेश की जनता को अंधकार में धकेलने से बचे।
इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और विपक्ष अपने आरोपों को कितना मजबूती से आगे बढ़ाता है।
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