कांग्रेस ने उठाया बड़ा सवाल, RUHS में कुलपति की नियुक्ति को लेकर विधायक का आरोप- ‘यू-ट्यूब’ शिक्षा!
Rajasthan Assembly Budget Session 2025: राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को कांग्रेस विधायक डॉ. शिखा मील बराला ने राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) के कुलपति पद पर गैर-डॉक्टर की नियुक्ति को लेकर गंभीर सवाल उठाए। शून्यकाल के दौरान उन्होंने कहा कि हेल्थ यूनिवर्सिटी में एक फार्मासिस्ट को कुलपति बनाना राज्य के वरिष्ठ और योग्य डॉक्टरों के लिए न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़ा करता है। (Rajasthan Assembly Budget Session 2025)उनके इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में तूल पकड़ लिया और इस मुद्दे पर हंगामा खड़ा हो गया।
नई पर्ची के चर्चे... शिखा मील का हमला
राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक डॉ. शिखा मील बराला ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) में एक महाराष्ट्र के फार्मासिस्ट को कुलपति नियुक्त किए जाने को लेकर सवाल उठाए। डॉ. मील ने कहा कि यह निर्णय राज्य के वरिष्ठ और अनुभवी डॉक्टरों के लिए एक बड़ा अपमान है, जिन्होंने मेडिकल क्षेत्र में अपनी लंबी और सटीक सेवा दी है।
राजस्थान में मेडिकल शिक्षा की स्थिति पर चिंता
डॉ. शिखा मील ने मेडिकल शिक्षा की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान में नए मेडिकल कॉलेजों में बिना फैकल्टी के पढ़ाई करवाई जा रही है और कई जगहों पर यू-ट्यूब से चिकित्सा शिक्षा दी जा रही है। उनका कहना था कि इससे विद्यार्थियों का भविष्य और राज्य का स्वास्थ्य क्षेत्र दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।
डॉ. मील ने इंडियन मेडिकल काउंसिल (IMC) पर गंभीर आरोप लगाए, यह कहते हुए कि 8वीं और 10वीं पास लोगों को फर्जी डिग्रियां दी जा रही हैं। इस तरह के डॉक्टरों से मरीजों का इलाज करवाने पर मौतें बढ़ने का खतरा है, और इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
बीजेपी विधायक पर स्पीकर की नाराजगी
विधानसभा सत्र के दौरान एक अजीब घटना घटित हुई, जब बीजेपी विधायक रामस्वरूप लांबा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया और खुद ही सदन से बाहर चले गए। स्पीकर ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अब उन्हें किसी भी मुद्दे पर बोलने का अवसर नहीं दिया जाएगा।
शून्यकाल के दौरान बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने राज्य सरकार से मांग की कि मुख्य सचिव और डीजीपी के बंगलों को एसएमएस अस्पताल के पास से हटा कर सिविल लाइंस में मुख्यमंत्री आवास के पास शिफ्ट किया जाए। उनका कहना था कि वर्तमान स्थान पर इन बंगलों के कारण इन अधिकारियों को सचिवालय और मुख्यमंत्री के कार्यालय में समय पर पहुंचने में दिक्कत होती है।
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