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अब अशोक गहलोत का क्या होगा? भाजपा की जीत के बाद राजस्थान की राजनीति में बड़ा फेरबदल!

BJP's Haryana Victory: राजस्थान की राजनीति में इन दिनों कुछ वैसा ही माहौल है जैसे शोले के मशहूर डायलॉग "तेरा क्या होगा कालिया?" में था। हरियाणा चुनाव में भाजपा की धमाकेदार जीत (BJP's Haryana Victory) के बाद सियासी समीकरण...
12:35 PM Oct 09, 2024 IST | Rajesh Singhal
BJP's Haryana Victory: राजस्थान की राजनीति में इन दिनों कुछ वैसा ही माहौल है जैसे शोले के मशहूर डायलॉग "तेरा क्या होगा कालिया?" में था। हरियाणा चुनाव में भाजपा की धमाकेदार जीत (BJP's Haryana Victory) के बाद सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। जहां सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारियां मिलने की चर्चा जोरों पर है, वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या गहलोत की सियासी पारी खत्म होने वाली है, या उनके पास अब भी कोई बड़ा दांव बाकी है? यह सवाल राजस्थान की राजनीति में सुर्खियों में है।
हरियाणा में पूनिया की रणनीति ने किया कमाल

हरियाणा चुनाव के प्रभारी बनाए गए सतीश पूनिया ने भाजपा को मुश्किल जाट बाहुल्य सीटों पर जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि पूनिया को हरियाणा भेजकर राजस्थान की राजनीति से अलग किया जा रहा है, लेकिन पूनिया ने अपनी मेहनत से भाजपा को जीत दिलाई, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की नजरों में आ गई है। अब पूनिया को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है, जिससे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकती हैं।

राजेंद्र राठौड़ की बढ़ती सियासी पकड़

राजेंद्र राठौड़ ने भी हरियाणा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजस्थान में कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद राठौड़ को भाजपा विधायक दल का नेता बनाया गया था, और अब हरियाणा में पार्टी की जीत के बाद उन्हें भी नई जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। भाजपा नेतृत्व राठौड़ को राजस्थान में एक बड़े चेहरे के रूप में देख रहा है, जो आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

गहलोत के लिए मुश्किलों का दौर

हरियाणा चुनाव में अशोक गहलोत ने कांग्रेस के सीनियर आब्जर्वर के रूप में बड़ी उम्मीदों के साथ भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ मिलकर चुनावी रणनीति बनाई थी। गहलोत इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने हरियाणा में राजस्थान मॉडल की योजनाओं को लागू करने की बात तक कह दी थी। लेकिन अब, कांग्रेस की हार के बाद, गहलोत की स्थिति कमजोर हो गई है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान, खासकर राहुल गांधी, गहलोत की पिछली बगावत को लेकर नाराज हैं और गहलोत के राजनीतिक करियर पर अब विराम लगाने की चर्चा शुरू हो गई है।

राजस्थान में कांग्रेस की हार का डर

राजस्थान में भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर दिख रही है, और इसके लिए गहलोत को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत को जीत दिलाने में असफल रहे, जिससे पार्टी के अंदर उनकी पकड़ कमजोर हो गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या गहलोत को राजस्थान की राजनीति में अपनी जगह बरकरार रखने का मौका मिलेगा, या पार्टी उन्हें ‘राजनीतिक विश्राम’ की ओर धकेल देगी।

भाजपा का भविष्य चमक रहा है

हरियाणा में जीत ने भाजपा के लिए नया उत्साह पैदा किया है। सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ जैसे नेता अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के विश्वासपात्र बन गए हैं। इससे भाजपा के लिए राजस्थान की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना प्रबल हो गई है।

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