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अब कौन सी मजबूरी? किरोड़ी लाल को खुलकर आना चाहिए".... प्रह्लाद गुंजल का बड़ा बयान!

टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र के समरावता गांव में हुई हिंसा और आगजनी की घटना अब प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बनती जा रही है।
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Naresh Meena Case: राजस्थान की सियासत में एक बार फिर उबाल आ गया है। टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र के समरावता गांव में हुई हिंसा और आगजनी की घटना अब प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में मुख्य आरोपी नरेश मीणा की जेल से रिहाई की मांग को लेकर उनके समर्थकों ने बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है। 25 फरवरी को उनके समर्थकों द्वारा राजस्थान विधानसभा के घेराव की तैयारी की जा रही है, जिससे प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है।

सरकार के खिलाफ इस आंदोलन को धार देने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता प्रह्लाद गुंजल टोंक पहुंचे और कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने राज्य सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला सरकार की नाकामी का प्रतीक बन गया है। गुंजल ने नरेश मीणा समर्थकों से अधिक से अधिक संख्या में विधानसभा घेराव में शामिल होने की अपील की और इसे जनता के अधिकारों से जुड़ा बड़ा मुद्दा बताया।

राजस्थान सरकार के लिए यह मामला किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। (Naresh Meena Case)एक ओर भाजपा इसे कानून-व्यवस्था और लोकतांत्रिक अधिकारों से जोड़कर देख रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। यदि आंदोलन ने तूल पकड़ा, तो यह आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा बदल सकता है। 25 फरवरी को होने वाले विधानसभा घेराव के बाद देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है और राजस्थान की सियासत किस मोड़ पर जाती है।

किरोड़ी  खुलकर आएं समर्थन में

भाजपा नेता प्रह्लाद गुंजल ने मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अब किरोड़ी लाल को खुलकर जनता के बीच आकर नरेश मीणा के समर्थन में खड़ा होना चाहिए। गुंजल ने सवाल उठाते हुए कहा कि पता नहीं डॉ. किरोड़ी लाल की कौन सी मजबूरी है, जो वे अब तक इस मामले में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। साथ ही उन्होंने सभी विपक्षी दलों के नेताओं से 25 फरवरी को होने वाली महापंचायत में शामिल होने की अपील की।

85 दिनों से जेल में हैं नरेश मीणा

समरावता कांड के बाद 14 नवंबर को हुई गिरफ्तारी के बाद से नरेश मीणा पिछले 85 दिनों से टोंक जिला कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद टोंक और सवाई माधोपुर में उनके समर्थन में महापंचायतें हो चुकी हैं, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के चलते अभी तक उन्हें ज़मानत नहीं मिल पाई है। उनके समर्थक और पीड़ित लगातार हाईकोर्ट के किसी एक्टिंग जज से न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वे सरकार द्वारा कराई जा रही प्रशासनिक जांच का भी पूरी तरह से बहिष्कार कर रहे हैं।

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25 फरवरी को विधानसभा घेराव की चेतावनी

नरेश मीणा के समर्थकों ने प्रह्लाद गुंजल के नेतृत्व में 25 फरवरी को जयपुर में महापंचायत बुलाकर विधानसभा घेरने की चेतावनी दी है। समर्थकों का आरोप है कि सरकार नरेश मीणा को जेल में डालकर उनकी हत्या करवाना चाहती है, इसलिए उनकी जमानत तक नहीं होने दी जा रही। उनका आरोप है कि सरकार ने उनकी जमानत रोकने के लिए कोर्ट में दो-दो डबल एजी (एडिशनल एडवोकेट जनरल) खड़े कर दिए।

13 नवंबर को हुआ था समरावता कांड

पिछले वर्ष 13 नवंबर को देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान मतदान के समय समरावता गांव के लोगों ने अपने गांव को उनियारा में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। इस दौरान निर्दलीय प्रत्याशी रहे नरेश मीणा गांव पहुंचे और प्रशासन पर जबरन मतदान कराने का आरोप लगाते हुए मालपुरा एसडीएम व एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था। इसके अगले ही दिन पुलिस ने धरना स्थल से नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया था। उनके साथ गिरफ्तार अन्य सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, लेकिन अब तक नरेश मीणा की जमानत नहीं हुई है।

इस पूरे मामले को लेकर सियासी माहौल गर्म हो गया है और अब देखना होगा कि 25 फरवरी को विधानसभा घेराव के बाद सरकार और विपक्ष का क्या रुख रहेगा।

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