नरेश मीणा को SDM थप्पड़ मामले में मिली राहत! दूसरे मामले में अदालत ने क्या किया? जानिए राज!
Naresh Meena Case : राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस नेता नरेश मीणा का नाम अक्सर चर्चाओं में रहता है। छात्र जीवन से ही आंदोलनों में सक्रिय रहने वाले नरेश मीणा को अदालत से एक मामले में बड़ी राहत मिली है, (Naresh Meena Case)जबकि दूसरे मामले में उनके लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। यह दोहरा फैसला कांग्रेस पार्टी और उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अलवर की एसीजेएम-6 कोर्ट ने छात्र जीवन के दौरान आंदोलन से जुड़े एक मामले में नरेश मीणा को बरी कर दिया है। इस फैसले से नरेश मीणा और उनके समर्थकों को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, एमएम-16 कोर्ट ने एक अन्य मामले में उनके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है। अदालत ने उनके खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखे थे, और इस आदेश के बाद उन्हें जेल जाना पड़ सकता है।
यह फैसला कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच नई राजनीतिक बहस छेड़ सकता है। जहां एक तरफ नरेश मीणा को बरी होने से राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर उनकी गिरफ्तारी का आदेश कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती के रूप में उभर सकता है। नरेश मीणा के खिलाफ अदालत के फैसले ने उनकी राजनीतिक छवि को प्रभावित किया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस स्थिति को कैसे संभालती है।
समरावता कांड में भी नहीं मिली जमानत
कांग्रेस नेता नरेश मीणा को समरावता कांड में राहत नहीं मिली। 10 जनवरी को सुनवाई के दौरान उनकी जमानत याचिका एक बार फिर खारिज कर दी गई। इस मामले में एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने के आरोप में दर्ज एफआईआर 166/2024 के तहत नरेश मीणा ने जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन सेशन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। यह दूसरी बार है जब उनकी जमानत याचिका अस्वीकृत हुई है। खास बात यह है कि इस मामले में अब तक 54 अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।
पहले भी खारिज हो चुकी है जमानत याचिका
इससे पहले, नरेश मीणा ने सेशन कोर्ट में ही जमानत याचिका दायर की थी, जो खारिज कर दी गई थी। इस कांड के बाद से कांग्रेस नेता के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर दबाव बढ़ गया है। कोर्ट का यह निर्णय न केवल उनके लिए, बल्कि कांग्रेस पार्टी के लिए भी बड़ा झटका है।
14 नवंबर को हुई थी गिरफ्तारी
13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में मतदान के बहिष्कार और हंगामे के बीच निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। ग्रामीणों ने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर वोटिंग का बहिष्कार किया था। इसी दौरान तीन वोट डाले जाने पर विवाद बढ़ा और मामला हाथापाई तक पहुंच गया। इस घटना के बाद 14 नवंबर को नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया गया।
समरावता कांड का बढ़ता राजनीतिक विवाद
इस मामले ने राजस्थान की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के लिए यह मुद्दा मुश्किलें खड़ी कर रहा है, जबकि विपक्ष इसे कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक अधिकारों के हनन के रूप में उठा रहा है। नरेश मीणा पर थप्पड़ कांड, उपद्रव और आगजनी जैसे गंभीर आरोप हैं, जिनसे उनकी राजनीतिक छवि पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
कानूनी और राजनीतिक प्रभाव
समरावता कांड के बाद से नरेश मीणा का राजनीतिक भविष्य संकट में दिख रहा है। उनकी जमानत याचिका का बार-बार खारिज होना उनकी कानूनी मुश्किलों को और बढ़ा रहा है। इस घटना ने कांग्रेस पार्टी को भी असमंजस में डाल दिया है, क्योंकि एक ओर पार्टी को अपनी छवि बचानी है, वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे पर विपक्ष के बढ़ते हमले का सामना करना है।
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