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जेईएन फर्जी साइन घोटाला! ऐसा क्या हुआ कि मिर्धा-बेनीवाल-डांगा को आना पड़ा एक मंच पर?

राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है, और इस बार मुद्दा है जेईएन फर्जी हस्ताक्षर घोटाला।
12:35 PM Feb 13, 2025 IST | Rajesh Singhal

Nagaur News: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है, और इस बार मुद्दा है जेईएन फर्जी हस्ताक्षर घोटाला। इस मामले ने तूल पकड़ लिया है, जिसमें विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेता भी कार्रवाई की मांग को लेकर मुखर हो गए हैं। इस घोटाले को लेकर सोशल मीडिया पर बयानबाजी तेज हो गई है, और राजनीतिक दलों के नेता सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

नागौर से आरएलएपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट कर मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) से मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। (Nagaur News)इसके तुरंत बाद, खींवसर से बीजेपी विधायक रेवंत राम डांगा ने भी सीएम भजनलाल शर्मा और विद्युत मंत्री हीरालाल नागर से तत्काल हस्तक्षेप कर दोषियों पर कार्रवाई करने की अपील की।

अब इस मामले में बीजेपी की वरिष्ठ नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा भी कूद पड़ी हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर से आग्रह किया कि विधायक के अनुरोध पर ध्यान दिया जाए और आवश्यक कदम उठाए जाएं।

"मामले की जांच के लिए लिखूंगा"

नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर बड़ा बयान देते हुए आरोप लगाया कि विद्युत विभाग के ठेकेदारों ने अभियंताओं के फर्जी हस्ताक्षर कर बिल उठाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि यह घोटाला बीजेपी नेताओं और कुछ अधिकारियों के संरक्षण के बिना असंभव है। बेनीवाल ने ऐलान किया कि वह पूरे मामले की सक्षम स्तर पर जांच के लिए लिखेंगे। साथ ही, उन्होंने @RajCMO को टैग कर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से इस घोटाले का संज्ञान लेकर वास्तविक स्थिति तलब करने की मांग की।

डांगा ने CM से कार्रवाई की मांग की

बीजेपी विधायक रेवंत राम डांगा ने भी इस मामले पर गंभीर चिंता जताई और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और विद्युत मंत्री हीरालाल नागर से उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि नागौर जिले के खींवसर क्षेत्र में दांतिणा से करनू और धोलियाडेर तक 33 केवीए विद्युत लाइन लगाने के काम में अजमेर डिस्कॉम के अभियंताओं के फर्जी हस्ताक्षर कर बिल उठाने का मामला सामने आया है। डांगा ने कहा कि यह भी बताया जा रहा है कि इलेक्ट्रिक फर्म ने एक अधिशासी अभियंता से मिलकर फर्जी विद्युत बिल तैयार किए और अधिशासी अभियंता ने बिना जांच किए इन बिलों को राजकीय कोष से भुगतान के लिए डिस्पैच कर दिया।

 कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

खींवसर के दांतिणा से करनू और धोलियाडेर तक 33 केवी बिजली लाइन खींची जा रही है। इस परियोजना के तहत 80% से अधिक रनिंग बिल पेश किए जा चुके हैं, लेकिन आरोप है कि काम अब तक सिर्फ 20% ही हुआ है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन बिलों पर पांचौड़ी जेईएन की बजाय भेड़ जेईएन सुरेंद्र लोमरोड़ के हस्ताक्षर हैं। अब आरोप है कि ये हस्ताक्षर भी फर्जी हैं और इस आधार पर राजकीय कोष से भुगतान उठाने की कोशिश की गई। अधिशासी अभियंता ने इन फर्जी हस्ताक्षरों वाले बिलों की जांच किए बिना ही उन्हें डिस्पैच कर दिया।

सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल

इस घोटाले ने राजनीतिक हलकों में भूचाल ला दिया है। जहां एक तरफ हनुमान बेनीवाल और रेवंत राम डांगा खुलकर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार की अब तक की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं।

अब देखना यह होगा कि क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेंगे, या फिर यह घोटाला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?

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