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फेल होने पर सिर्फ छात्र नहीं, शिक्षक भी होंगे जिम्मेदार! शिक्षा मंत्री के नए आदेश ने बढ़ाई चिंता

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नागौर दौरे के दौरान यह स्पष्ट किया कि नए शिक्षा सत्र में कई अहम बदलाव किए जाएंगे, जिससे छात्रों का शैक्षणिक स्तर बेहतर हो सके।
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Madan Dilawar: शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर सरकार अब सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नागौर दौरे के दौरान यह स्पष्ट किया कि नए शिक्षा सत्र में कई अहम बदलाव किए जाएंगे, जिससे छात्रों का शैक्षणिक स्तर बेहतर हो सके।

शिक्षा मंत्री ने घोषणा की कि शिक्षकों की पदोन्नति के बाद रिक्त पदों को जल्द भरा जाएगा, जिससे स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे इन कदमों से परीक्षा(Madan Dilawar) परिणामों में सुधार देखने को मिलेगा। यदि इसके बावजूद छात्रों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, तो शिक्षकों की जवाबदेही तय की जाएगी। मंत्री के इस बयान ने शिक्षा जगत में नई बहस को जन्म दे दिया है।

री-टोटलिंग के साथ री-चेकिंग की सुविधा भी होगी

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब छात्रों को उत्तर पुस्तिकाओं की री-टोटलिंग के साथ री-चेकिंग की सुविधा भी दी जाएगी। इस फैसले से उन छात्रों को राहत मिलेगी, जिन्हें अपने अंकों को लेकर संदेह रहता था। इसके अलावा, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रश्नपत्र अब तीन-चार खंडों में विभाजित कर विशेषज्ञों द्वारा तैयार कराए जाएंगे। इस नई प्रणाली से पेपर लीक और नकल माफिया पर प्रभावी अंकुश लगेगा, जिससे परीक्षा प्रणाली अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष होगी।

शिक्षा मंत्री ने पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पांच साल के कार्यकाल में शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई। लेकिन वर्तमान सरकार 50,000 शिक्षकों की पदोन्नति करेगी और नई शिक्षक भर्ती भी जल्द शुरू होगी।

नहीं तो शिक्षक पर गिरेगी गाज

मंत्री ने शिक्षा प्रणाली में सख्ती बरतने की बात करते हुए कहा कि बच्चों को लिखित परीक्षा में न्यूनतम 50% अंक लाने होंगे। उदाहरण के लिए, यदि पेपर 80 अंकों का है, तो छात्र को कम से कम 40 अंक लाने होंगे। यदि छात्र यह अंक नहीं ला पाते हैं, तो शिक्षक की जवाबदेही तय की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ेगी और छात्रों का प्रदर्शन बेहतर होगा।

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