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किरोड़ी लाल मीणा बोले... समरावता बैनर में मेरी तस्वीर न लगाएं, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह।

राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा, जो पहले फोन टैपिंग विवाद को लेकर चर्चा में थे, अब समरावता आंदोलन में अपनी तस्वीर के इस्तेमाल पर सख्त हो गए हैं।
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Kirodi Lal Meena: राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा, जो पहले फोन टैपिंग विवाद को लेकर चर्चा में थे, अब समरावता आंदोलन में अपनी तस्वीर के इस्तेमाल पर सख्त हो गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनकी फोटो का उपयोग किसी भी आंदोलन में नहीं किया जाए। (Kirodi Lal Meena)किरोड़ी ने अपने सोशल मीडिया पर इस बात की जानकारी दी, जहां उन्होंने कहा, "मैं जनता के सहयोग के लिए 3 बार समरावता गया और जेल में आंदोलनकारियों से भी मिला, लेकिन अब आंदोलनकारी विधानसभा का घेराव करने वाले हैं।" इस बयान से यह साफ हो गया है कि वे अब सरकार के हिस्से के रूप में अपनी छवि को लेकर किसी भी तरह का विवाद नहीं चाहते हैं।

बीजेपी और सरकार के लिए असहज स्थिति

समरावता आंदोलन में कृषि मंत्री की तस्वीरों का उपयोग करने से बीजेपी और राज्य सरकार के लिए राजनीतिक असहज स्थिति पैदा हो सकती थी।

चूंकि किरोड़ी मीणा को सरकार के एक महत्वपूर्ण मंत्री के रूप में देखा जाता है, उनका आंदोलन में शामिल होना पार्टी के भीतर विरोध और विवाद को जन्म दे सकता था। इस कारण, उन्होंने अपनी तस्वीरों का प्रयोग रोकने का फैसला लिया, ताकि यह संदेश न जाए कि वह खुद सरकार के खिलाफ खड़े हैं।

समरावता मामले का सियासी नफा-नुकसान

समरावता हिंसा और आंदोलन से जुड़े मुद्दों में कृषि मंत्री किरोड़ी का सियासी स्टैंड पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि वह सरकार और पार्टी के हित में हैं।

हालांकि, इस कदम से यह भी साफ हो गया है कि वह अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हर परिस्थिति में सटीक और चतुर निर्णय लेना चाहते हैं।

नरेश मीणा समर्थकों की दबाव की राजनीति

समरावता मामले में नरेश मीणा के समर्थक विधानसभा घेराव की धमकी दे रहे हैं। ऐसे में, किरोड़ी मीणा का इस आंदोलन से खुद को अलग करने का फैसला इस दबाव की राजनीति को कमजोर करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है। नरेश मीणा और उनके समर्थकों द्वारा सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश को विफल करने के लिए किरोड़ी ने अपनी तरफ से यह कदम उठाया है।

कांग्रेस को मिलेगी राजनीतिक जीत?

कांग्रेस पार्टी के लिए यह अवसर हो सकता है कि वह बीजेपी के अंदर बढ़ती असहमति और विरोध को राजनीतिक लाभ में बदल सके। समरावता मामले में बीजेपी के भीतर की खींचतान से कांग्रेस को आने वाले समय में एक सशक्त विपक्ष की तरह उभरने का मौका मिल सकता है, खासकर अगर बीजेपी अपने ही नेताओं के समर्थन से परेशान होती है।

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