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"मंदिर भूली कांग्रेस, मदरसों पर मेहरबान? जोराराम कुमावत का बड़ा हमला, वोटबैंक राजनीति का सच उजागर!

प्रदेश के देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जिसने कभी मंदिरों की सुध नहीं ली, वह अब झूठे आरोप लगाने में लगी है
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Joraram Kumawat: राजस्थान में राजनीति का पारा एक बार फिर चढ़ गया है। मंदिरों और पुजारियों की सुविधाओं को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गलताजी मंदिर को लेकर दिए गए बयान के बाद बीजेपी ने तीखा पलटवार किया है।

प्रदेश के देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जिसने कभी मंदिरों की सुध नहीं ली, वह अब झूठे आरोप लगाने में लगी है।(Joraram Kumawat) कुमावत ने कांग्रेस शासनकाल पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकार ने पशुपालकों को गुमराह किया, एक भी पशु बीमे का क्लेम पास नहीं हुआ। इतना ही नहीं, जब प्रदेश में लंपी वायरस का प्रकोप था, तब कांग्रेस के मंत्री होटलों में मौज कर रहे थे।

मंदिरों और धार्मिक स्थलों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच यह नई सियासी जंग चुनावी समीकरणों को किस ओर मोड़ती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

गलताजी में पूजा और भोग की व्यवस्था सुचारू

राजस्थान के देवस्थान, पशुपालन, डेयरी और गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि गलताजी मंदिर और अधीनस्थ मंदिरों में सेवा पूजा, भोग सामग्री और अन्य आवश्यक सुविधाओं के लिए 48 लाख रुपये की स्वीकृति जारी कर दी गई है। सरकार के निर्देशों के तहत मंदिरों में भोग सामग्री और फूल मालाओं की व्यवस्था नियमित रूप से की जा रही है, और पुजारी पूरी श्रद्धा से सेवा पूजा कर रहे हैं।

पुजारियों...कर्मचारियों को समय पर भुगतान

देवस्थान मंत्री ने स्पष्ट किया कि गलताजी और इससे जुड़े अन्य मंदिरों में कार्यरत पुजारियों, सुरक्षाकर्मियों, गौसेवकों और सफाईकर्मियों के दिसंबर और जनवरी महीने तक के भुगतान कर दिए गए हैं। इसके अलावा, तुलसी जयंती, जन्माष्टमी, नवरात्र उत्सव, कन्या पूजन, दीपावली, छठ उत्सव, देव दीपावली जैसे प्रमुख पर्वों का भव्य आयोजन किया गया है।

 मंदिरों के विकास पर जोर..

मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि सरकार ने मंदिरों की सेवा पूजा, भोग, प्रसाद, उत्सव, पोशाक, जल एवं प्रकाश सहित सुरक्षा व्यवस्था के लिए भोगराग की राशि को दोगुना कर प्रति मंदिर ₹3,000 कर दिया है। वहीं, अंशकालीन पुजारियों के मानदेय को ₹5,000 से बढ़ाकर ₹7,500 कर दिया गया है।

इसके अतिरिक्त, देवस्थान विभाग के मंदिरों के जीर्णोद्धार, मरम्मत और विकास कार्यों के लिए ₹101 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। राज्य के बाहर स्थित देवस्थान विभाग के क्षतिग्रस्त मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए भी ₹25 करोड़ की मंजूरी दी गई है।

मंदिरों से ज्यादा मदरसों पर ध्यान

कुमावत ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार मुस्लिम वोटबैंक साधने के लिए मदरसों के विकास पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही थी, लेकिन मंदिरों की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि भजनलाल सरकार ने 2024-25 के राज्य बजट में 20 प्रमुख मंदिरों और आस्था केंद्रों के विकास के लिए ₹300 करोड़ और खाटू श्यामजी मंदिर कॉरिडोर के लिए ₹100 करोड़ की घोषणा की है।

राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 12 मंदिरों के जीर्णोद्धार और अन्य विकास कार्य करवाए जाएंगे। इसके अलावा, 593 मंदिरों में होली, दीपावली, रामनवमी और अन्य त्योहारों पर विशेष साज-सज्जा और आरती के लिए ₹13 करोड़ का अलग बजट रखा गया है।

लंपी रोग संकट में कांग्रेस सरकार फेल 

देवस्थान मंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने पशुपालकों को गुमराह किया। कामधेनु पशु बीमा योजना केवल आंकड़ों की जादूगरी थी। इस योजना में 110 लाख पशुओं का पंजीकरण हुआ, लेकिन केवल 1064 पशुओं का बीमा हुआ और मात्र 21 पशुओं को ही मृत घोषित कर क्लेम दिया गया।

कुमावत ने आरोप लगाया कि जब प्रदेश में लंपी वायरस के कारण हजारों पशु मर रहे थे, तब कांग्रेस सरकार के मंत्री होटलों में आराम कर रहे थे। अब भजनलाल सरकार ने मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना को नियम-कायदों के अनुसार लागू किया है।

गहलोत ने लगाए थे यह आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर भाजपा सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के प्रमुख वैष्णव तीर्थ गलताजी की जिम्मेदारी राज्य सरकार संभाल रही है, लेकिन भाजपा सरकार की लापरवाही के कारण 521 साल पुरानी परंपराएं टूट गई हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार 23 दिनों से मंदिर में भगवान के लिए फूल मालाएं तक उपलब्ध नहीं करा सकी है।

गहलोत के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है और भाजपा-कांग्रेस में मंदिरों को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है।

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