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Jhunjhunu: कांग्रेस के वोट बैंक ने पलटी पारी... अब गलतफहमी छोड़ें... हम हमेशा वोट नहीं देंगे!

Jhunjhunu Assembly Seat: झुंझुनू विधानसभा सीट (Jhunjhunu Assembly Seat)पर सियासी हलचल तेज हो गई है! जाट और मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक संख्या के बीच, यहां लगभग 70 हजार जाट और 68 हजार मुस्लिम वोटर हैं, जो आगामी चुनाव में अहम...
02:20 PM Oct 13, 2024 IST | Rajesh Singhal

Jhunjhunu Assembly Seat: झुंझुनू विधानसभा सीट (Jhunjhunu Assembly Seat)पर सियासी हलचल तेज हो गई है! जाट और मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक संख्या के बीच, यहां लगभग 70 हजार जाट और 68 हजार मुस्लिम वोटर हैं, जो आगामी चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ओला परिवार का वर्षों से इस सीट पर कब्जा रहा है, लेकिन क्या इस बार बदलेंगे समीकरण? यदि मुस्लिम समाज को टिकट नहीं मिला, तो परिणाम कांग्रेस के लिए विनाशकारी हो सकते हैं। यह चुनाव सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य की लड़ाई है!

झुंझुनू में जाट और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या

झुंझुनू विधानसभा सीट पर जाट और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण संख्या में हैं। यहां लगभग 70 हजार जाट मतदाता और 68 हजार मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि ST-SC के करीब 45 हजार वोटर भी हैं। इस सीट पर मूल ओबीसी समुदाय की संख्या भी अच्छी खासी है। लंबे समय से ओला परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा है, जिसमें शीशराम ओला और बृजेंद्र ओला विधायक रह चुके हैं।

कांग्रेस को मिल सकती है कठिनाई

उपचुनाव में कांग्रेस ओला परिवार से ही किसी प्रत्याशी को चुनाव लड़वाना चाहती है। मुस्लिम वोटर्स ने हाल ही में एक सभा करके पार्टी को चेतावनी दी है कि यदि उप-चुनाव में कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं दिया गया, तो वे चुनाव में पार्टी का विरोध करेंगे। मुस्लिम न्याय मंच के रिटायर्ड आईएएस अशफाक हुसैन ने कहा, "कांग्रेस के पांच बड़े नेता मुसलमानों के वोट से बने हैं। यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि हम हमेशा कांग्रेस को वोट देंगे।"

क्या झुंझुनू पर भी पड़ेगा असर?

हरियाणा चुनाव के नतीजों में गैर जाट वोटर्स का कांग्रेस से नाराज होना एक बड़ी वजह बनी थी। यदि झुंझुनू विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम मतदाता नाराज होते हैं, तो कांग्रेस के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

कांग्रेस की परंपरागत सीट पर नया संकट

झुंझुनू में यह उपचुनाव दूसरी बार हो रहा है। 1996 में हुए पहले उपचुनाव में डॉक्टर मूल सिंह शेखावत की जीत हुई थी। अब इस बार कांग्रेस के लिए आसान राह नहीं होगी, क्योंकि यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की मानी जाती है। अगर अल्पसंख्यक समुदाय को साधने में असफल रही, तो नतीजे चौंका सकते हैं।

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