जुबैर खान के अंतिम संस्कार के इर्द-गिर्द मची हलचल में राजनीति का गहरा खेल? जानिए कांग्रेस के गंभीर आरोपों की पूरी कहानी
FuneralControversy: जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने विधायक जुबैर खान के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर प्रदेश सरकार की नीतियों पर तीखा हमला किया है। प्रदेश कांग्रेस के महासचिव जसवंत गुर्जर ने मुख्यमंत्री भजनलाल पर आरोप लगाया है कि उनकी सरकार ने दिवंगत नेताओं के अंतिम संस्कार को राजनीति से जोड़ दिया है।
अंतिम संस्कार पर विवाद और सरकार की नीतियां
जसवंत गुर्जर ने सोशल मीडिया (अब एक्स) पर बयान देते हुए कहा, "राजस्थान में अंतिम संस्कार भी अब सरकारी पर्चियों से तय होते हैं। यह पूरी तरह से असंगत और राजनीतिक मनोदशा से प्रेरित है।" उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब गुजरात के पूर्व राज्यपाल पंडित नवलकिशोर और राजस्थान की पहली महिला मंत्री डॉ. कमला बेनीवाल के अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान का अभाव था, तो भाजपा विधायक अमृतलाल मीना और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक जुबैर खान के अंतिम संस्कार में क्यों भेदभाव किया गया?
भजनलाल सरकार पर सीधा हमला
गुर्जर ने आरोप लगाया कि अमृतलाल मीना के आकस्मिक निधन पर राज्य ने राजकीय सम्मान और गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया, जबकि जुबैर खान के अंतिम संस्कार में ऐसा कोई सम्मान नहीं दिया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल की सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि उनके नेतृत्व में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को अब विचारधारा से जोड़ा जा रहा है, जिससे एक नई और विवादास्पद परंपरा की शुरुआत हुई है।
पूर्व की परंपराएं और सम्मान की कमी
गुर्जर ने यह भी बताया कि राजस्थान में दिवंगत नेताओं के अंतिम संस्कार को कभी राजनीति से नहीं जोड़ा गया। उन्होंने उल्लेख किया कि उपराष्ट्रपति स्व. भैरोसिंह शेखावत के निधन पर कांग्रेस सरकार ने उनकी समाधि के लिए न केवल जमीन दी, बल्कि समाधि का निर्माण भी करवाया। इसके अतिरिक्त, कई दिवंगत भाजपा और कांग्रेस नेताओं के नाम पर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और सड़कें बनाईं गईं, जो उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक तरीका था।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
गुर्जर ने मुख्यमंत्री भजनलाल की "पर्ची सरकार" के रूप में आलोचना करते हुए कहा कि उनके शासन में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को विचारधारा से जोड़ने की नई परंपरा शुरू की गई है। इस टिप्पणी ने राज्य के सियासी माहौल को गर्मा दिया है और कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दे ने राजस्थान की राजनीतिक चर्चा में एक नया मोड़ ला दिया है।
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