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धार्मिक सभा में क्यों भड़के नेता? बेणेश्वर धाम में आदिवासी पहचान पर बढ़ा विवाद, पीछे की सच्चाई चौंकाने वाली!

डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम में एक कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज की धार्मिक पहचान को लेकर बड़ा विवाद हो गया।
02:12 PM Feb 09, 2025 IST | Rajesh Singhal

Dungarpur News: राजस्थान की राजनीति में हिंदू-आदिवासी पहचान का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। यह बहस अब केवल विचारधाराओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि सार्वजनिक मंचों पर भी खुलकर सामने आने लगी है। डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम में एक कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज की धार्मिक पहचान को लेकर बड़ा विवाद हो गया।

बेणेश्वर धाम में आयोजित सभा में उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने बीएपी सांसद राजकुमार रोत के बयान का खंडन करते हुए कहा कि "आदिवासी हिंदू नहीं हैं" कहना पूरी तरह गलत है। इस पर आसपुर विधायक उमेश डामोर ने उन्हें बीच में ही टोक दिया, जिससे माहौल गर्मा गया।

विवाद बढ़ता देख बीएपी कार्यकर्ताओं ने भी अपनी टिप्पणियां शुरू कर दीं।(Dungarpur News) मामला तब और गंभीर हो गया जब पूर्व विधायक गोपीचंद मीणा ने बीएपी कार्यकर्ताओं को फटकार लगाई। देखते ही देखते विधायक उमेश डामोर और पूर्व विधायक गोपीचंद मीणा एक-दूसरे की ओर बढ़ने लगे। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि मंच पर मौजूद अन्य नेताओं को बीच-बचाव करना पड़ा।

इस घटना ने राजस्थान की आदिवासी राजनीति को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। आदिवासी समुदाय की धार्मिक पहचान को लेकर लगातार राजनीतिक बयानबाजी हो रही है, जिससे सियासी माहौल और अधिक गरमा रहा है। बेणेश्वर धाम की यह घटना दर्शाती है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

आदिवासी मुद्दे पर मचा सियासी घमासान

डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम में हिंदू-आदिवासी पहचान को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। कार्यक्रम के दौरान नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। मंच पर मौजूद सांसद और विधायकों के बीच टकराव देखने को मिला, जिससे राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

सांसद मन्नालाल रावत का बयान... ‘हम हिंदू हैं’

उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने बीएपी सांसद राजकुमार रोत के उस बयान पर पलटवार किया, जिसमें कहा गया था कि "आदिवासी हिंदू नहीं हैं।" इस पर उन्होंने कहा.... "जब हम त्रिवेणी संगम पर खड़े होकर अस्थि विसर्जन कर रहे हैं, जब हमारे आराध्य महादेव और पूर्वज वाल्मीकि ऋषि यहीं हैं, तो हम हिंदू क्यों नहीं हैं? हमें अपनी जड़ों को पहचानना चाहिए।"

इसके अलावा, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने 1999 में आदिवासी समाज के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्थापना की थी। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे पहले किसी को आदिवासी समाज की याद नहीं आई थी।

विधायक उमेश डामोर ने किया विरोध

जब सांसद मन्नालाल रावत भाषण दे रहे थे, तो आसपुर विधायक उमेश डामोर बार-बार उन्हें टोक रहे थे। इस बीच, कुछ बीएपी कार्यकर्ता दूर से टीका-टिप्पणी कर रहे थे। इससे नाराज होकर आसपुर के पूर्व विधायक गोपीचंद मीणा ने बीएपी कार्यकर्ताओं को फटकार लगाई।

विवाद बढ़ता देख सांसद मन्नालाल रावत ने आरोप लगाया कि बाहर से आए लोग यहां का माहौल खराब कर रहे हैं। इसके बाद विधायक उमेश डामोर खड़े हो गए और पूर्व विधायक गोपीचंद मीणा से उलझ गए। देखते ही देखते मामला इतना गरमा गया कि दोनों नेता एक-दूसरे की ओर बढ़ने लगे, जिससे मंच पर अफरातफरी का माहौल बन गया।

विधायक उमेश डामोर का पलटवार 

विवाद के बाद विधायक उमेश डामोर ने कहा... "यहां लोगों को भड़काने का काम किया जा रहा था, जिसका हमने विरोध किया। सांसद मन्नालाल रावत कह रहे हैं कि झारखंड और छत्तीसगढ़ से लोग आए हैं। तो क्या ये भारत का हिस्सा नहीं है?"

 ‘धार्मिक मेले में धर्म की बात तो होगी’

पूर्व विधायक गोपीचंद मीणा ने कहा कि बेणेश्वर मेला एक धार्मिक आयोजन है, जिसमें आस्था और धर्म की चर्चा होगी ही। उन्होंने यह भी कहा कि मंच पर कुछ लोग बेवजह माहौल बिगाड़ रहे थे, जिसे वह सहन नहीं कर सकते।

"जब धार्मिक मेले का आयोजन हो रहा है, तो धर्म की बात तो की जाएगी। प्रशासन को चाहिए कि भविष्य में ऐसे आयोजनों में मंच को अलग-अलग किया जाए, ताकि इस तरह के विवाद न हों।"

राजनीतिक तापमान और बढ़ा, आगे क्या?

बेणेश्वर धाम में हुए इस विवाद ने राजस्थान की राजनीति को और गरमा दिया है। आदिवासी समाज की धार्मिक पहचान को लेकर अलग-अलग विचारधाराएं सामने आ रही हैं, जिससे सियासी घमासान और तेज होता दिख रहा है। अब देखना होगा कि इस विवाद के बाद राजनीतिक दल क्या रुख अपनाते हैं और आदिवासी समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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