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गहलोत-वसुंधरा के बाद... भजनलाल की गाड़ी में उधार का तेल, 37 हजार करोड़ के ब्याज का बोझ

Bhajanlal Government Debt: राजस्थान की डबल इंजन सरकार इन दिनों कर्ज़ की पटरी पर तेज़ रफ्तार से दौड़ रही है। सरकार की मौजूदा आर्थिक नीतियों ने राज्य को एक ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जहां कर्ज़ का...
08:30 PM Jan 08, 2025 IST | Rajesh Singhal

Bhajanlal Government Debt: राजस्थान की डबल इंजन सरकार इन दिनों कर्ज़ की पटरी पर तेज़ रफ्तार से दौड़ रही है। सरकार की मौजूदा आर्थिक नीतियों ने राज्य को एक ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जहां कर्ज़ का भार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दिसंबर 2024 तक सरकार ने करीब 50 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज़ ले लिया है, जिससे कुल कर्ज़ का आंकड़ा पांच लाख करोड़ रुपए छूने के करीब है।

राजस्थान की अर्थव्यवस्था एक ऐसे चौराहे पर खड़ी है, जहां सवाल सिर्फ विकास का नहीं, बल्कि उस भारी कर्ज़ का है जो आने वाली पीढ़ियों पर भारी पड़ सकता है। वित्त वर्ष 2024-25 में, सरकार ने दिसंबर तक 50 हजार करोड़ रुपए का भारी कर्ज लिया, (Bhajanlal Government Debt) जो कुल मिलाकर पांच लाख करोड़ रुपए के कगार पर पहुंच गया है। पिछले बजट में दिखाए गए आंकड़े पहले ही 4 लाख 44 हजार करोड़ के कर्ज़ का खुलासा कर चुके थे। अब, बाजार से जुटाए गए कर्ज़ और बोर्ड-कॉरपोरेशन्स के माध्यम से ली गई उधारी ने राज्य की वित्तीय स्थिति को और पेचीदा बना दिया है।

ये नीतियां सवाल उठाती हैं—क्या यह कर्ज विकास का इंजन बनेगा, या आने वाले समय में राज्य के लिए आर्थिक संकट का कारण?

राजस्थान सरकार का नया कर्ज समझौता

इस सप्ताह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में वित्त विभाग ने बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के साथ एक समझौता (एमओयू) किया। इसके तहत बैंक ऑफ बड़ौदा अगले छह वर्षों में प्रति वर्ष 20,000 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ महाराष्ट्र प्रति वर्ष 10,000 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराएंगे। कुल मिलाकर, 31 मार्च 2030 तक राजस्थान सरकार को 1.80 लाख करोड़ रुपये का नया कर्ज़ मिलेगा। सरकार का दावा है कि यह राशि बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा, सड़क, पेयजल और स्वच्छता जैसी आधारभूत संरचना परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल होगी।

बोर्ड-कॉरपोरेशन पर बढ़ता कर्ज

कर्ज़ का संकट केवल सरकारी खातों तक सीमित नहीं है। बोर्ड और कॉरपोरेशन्स पर वर्तमान में 1.12 लाख करोड़ रुपये का भारी कर्ज़ है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से अधिकांश संस्थानों के पास इसे चुकाने का कोई ठोस राजस्व स्रोत नहीं है। आरबीआई ने पूर्व में राजस्थान सरकार को निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज़ लेने पर चेतावनी दी थी, लेकिन वित्त विभाग ने इसे नज़रअंदाज़ कर बाजार से अतिरिक्त ऋण जुटा लिया।

कर्ज़ के ब्याज का बढ़ता बोझ

राजस्थान सरकार पर कर्ज़ का असर इस कदर बढ़ चुका है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य को 37,000 करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज के तौर पर चुकाने होंगे। 2024-25 के बजट में कर्ज़ के ब्याज भुगतान के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन यह राशि साल खत्म होने से पहले ही 2,000 करोड़ रुपये और बढ़ चुकी है।

 अल्पकालिक और दीर्घकालिक नुकसान

निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज़ लेने के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पहला, ब्याज दरों में वृद्धि होती है, जिससे कर्ज़ महंगा हो जाता है। दूसरा, समय से पहले कर्ज़ उठाने से ब्याज भुगतान की अवधि भी लंबी हो जाती है। इसका मतलब है कि आने वाली सरकारों को भी इस बोझ का सामना करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर राजस्थान की दिसंबर तक 46,000 करोड़ रुपये की कर्ज़ लिमिट थी लेकिन सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया, तो इसका असर अगली सरकार की वित्तीय योजनाओं पर पड़ेगा।

कर्ज़ की रफ्तार और भविष्य के संकेत

राजस्थान की वित्तीय स्थिति कर्ज़ के इस बढ़ते भार के कारण अधिक जटिल होती जा रही है। यदि यह स्थिति जल्द नहीं संभाली गई, तो इसका असर न केवल राज्य की वर्तमान परियोजनाओं पर पड़ेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में भी आर्थिक संकट की संभावना बढ़ा देगा।

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