भजनलाल शर्मा का कैबिनेट विस्तार! जानें किन नेताओं का सपना होगा पूरा , कौन रहेगा खाली हाथ?
Bhajanlal Cabinet Reshuffle: राजस्थान में कैबिनेट विस्तार को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कार्यकाल में छह मंत्रियों के पद खाली पड़े हुए हैं, जिन्हें भरने की तैयारी हो रही है। इन पदों के लिए पार्टी के भीतर जोरदार चर्चा चल रही है कि आखिरकार किसे मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी और किसे फिलहाल आराम दिया जाएगा। (Bhajanlal Cabinet Reshuffle) कांग्रेस द्वारा भजनलाल शर्मा पर पर्ची सरकार चलाने के आरोपों के बीच, अब सियासी गलियारों में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या सीएम शर्मा अब अपने एक साल के कार्यकाल के बाद कड़े फैसले लेकर सरकार को स्थिरता देंगे या सत्ता की राजनीति में और उलझ जाएंगे।
बीजेपी में असंतुलन को लेकर उहापोह
राजस्थान में कैबिनेट विस्तार को लेकर कांग्रेस की ओर से भी लगातार बयानबाजी हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि सीएम भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में असंतुलन है, और यह कैबिनेट विस्तार पार्टी के अंदरूनी संघर्ष को खत्म करने के बजाय और बढ़ा सकता है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि बीजेपी जातिगत समीकरणों का राजनीति के रूप में इस्तेमाल कर रही है, और इसका उद्देश्य केवल चुनावी रणनीतियों को आगे बढ़ाना है।
वसुंधरा राजे समर्थकों की उम्मीदें ...बीजेपी की अंदरूनी राजनीति
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक भी इस फेरबदल में अपनी हिस्सेदारी को लेकर उम्मीद लगाए हुए हैं। सूत्रों की मानें तो दिल्ली से भेजे गए फीडबैक में यह जानकारी आई है कि बीजेपी हाईकमान और सीएम भजनलाल शर्मा के बीच इस मुद्दे पर सख्त मतभेद हैं। वसुंधरा राजे के समर्थक मंत्रीमंडल में अपनी भागीदारी को लेकर शांति से नहीं बैठेंगे, और पार्टी के अंदर विरोध का सामना भी कर सकते हैं। यह देखना होगा कि पार्टी इस संकट से कैसे उभरती है।
दलित ...ओबीसी पर बीजेपी की रणनीति
बीजेपी की रणनीति में ओबीसी और दलितों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पार्टी ने प्रदेश में उपचुनावों में इन समुदायों के वोट प्राप्त करने के लिए रणनीतिक रूप से काम किया है। आगामी कैबिनेट विस्तार में भी इन समुदायों को ध्यान में रखते हुए नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान देने की संभावना है। बीजेपी का यह कदम आगामी चुनावों में दलित वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए है।
सीएम भजनलाल शर्मा की चुनौती
सीएम भजनलाल शर्मा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह पार्टी की अंदरूनी राजनीति और जातिगत समीकरणों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए तेजी से फैसला लें। हाल ही में यह खबरें आई थीं कि मुख्यमंत्री अपनी योजनाओं को तेजी से लागू करना चाहते हैं, लेकिन पार्टी के भीतर की गुटबाजी और अंदरूनी दवाब के कारण वह उतनी जल्दी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, जितना उन्होंने सोचा था। अब यह सवाल भी उठता है कि क्या सीएम भजनलाल शर्मा अपनी योजनाओं को साकार करने में सफल हो पाएंगे या नहीं।
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