राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

Banswara: सवा साल में ही बांसवाड़ा से छीना गया संभाग का दर्जा, आदिवासी क्षेत्र की उम्मीदें टूट गई!

Banswara News: (मृदुल पुरोहित)। राज्य की भजनलाल सरकार ने शनिवार को केबिनेट बैठक में बांसवाड़ा सहित पाली और सीकर से संभाग का दर्जा छीन लिया। इससे प्रदेश में पिछड़े जिलों में गिने जाने वाले आदिवासी बहुल वागड़-कांठल के समग्र विकास...
06:24 PM Dec 28, 2024 IST | Rajesh Singhal

Banswara News: (मृदुल पुरोहित)। राज्य की भजनलाल सरकार ने शनिवार को केबिनेट बैठक में बांसवाड़ा सहित पाली और सीकर से संभाग का दर्जा छीन लिया। इससे प्रदेश में पिछड़े जिलों में गिने जाने वाले आदिवासी बहुल वागड़-कांठल के समग्र विकास की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। हालांकि संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन के स्थानांतरण के बाद नए अधिकारी की पद पर नियुक्ति नहीं होने और उदयपुर संभागीय आयुक्त को (Banswara News)बांसवाड़ा का अतिरिक्त चार्ज दिए जाने से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि राज्य सरकार बांसवाड़ा से संभाग का दर्जा हटा सकती है।

राजस्थान में कांग्रेस शासन में अशोक गहलोत सरकार ने चार अगस्त 2023 को हुई बैठक में 17 नए जिलों के साथ 3 नए संभाग बनाने का निर्णय किया था। नए संभागों में सीकर, पाली के साथ ही बांसवाड़ा भी सम्मिलित था। संभाग बनने के बाद आदिवासी बहुल बांसवाड़ा सहित डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के विकास की संभावनाएं भी बढ़ी थी, किंतु एक वर्ष और साढ़े चार माह में ही संभाग का दर्जा हटा लेने से बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ पुन: उदयपुर संभाग में सम्मिलित हो जाएंगे।

पहला ट्राइबल संभाग था बांसवाड़ा

गहलोत सरकार के निर्णय के बाद बांसवाड़ा संभाग राजस्थान में एकमात्र ट्राइबल संभाग था, जिसे 25 तहसीलों और 1005 ग्राम पंचायतों को मिलाकर बनाया था। इसकी आबादी करीब 45 लाख से अधिक है। इसमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों को पूर्ण रूप से सम्मिलित किया था। राजनीतिक दृष्टि से भी तीनों जिलों की सभी 11 विधानसभा सीटें भी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है।

उम्मीदों पर तुषारापात

बांसवाड़ा से संभाग का दर्जा हटाने से विकास की उम्मीदों पर तुषारापात हुआ है। संभाग बनने से शिक्षा, औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य, इंफ्रास्टक्चर, पर्यटन, रियल एस्टेट, इको टूरिज्म आदि क्षेत्रों में विकास की उम्मीदें बढ़ी थीं। संभाग के अनुरूप राज्य से बजट मिलने की संभावनाएं भी बलवती हुई थी। बांसवाड़ा नगर परिषद के भी क्रमोन्नत होकर नगर निगम बनने या नगर विकास प्रन्यास की स्थापना की संभावनाएं थी, जो अब राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद कमजोर हो गई हैं।

नई नियुक्ति नहीं होने से मिले संकेत

बांसवाड़ा को संभाग बनाने के बाद पहले आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार उदयपुर के तत्कालीन संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट को दिया था। इसके बाद यहां नीरज के. पवन की नियुक्ति हुई। पवन के स्थानांतरण के बाद आयुक्त का चार्ज उदयपुर संभागीय आयुक्त को दिया था। वहीं अतिरिक्त संभागीय आयुक्त का भी तबादला कर दिया था। इस दौरान नई नियुक्ति नहीं होने और रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट आने के चलते यह संकेत मिल गए थे कि तीन ही जिले होने से सरकार संभाग का दर्जा हटा सकती है। हालांकि वर्तमान में यहां आईजी पुलिस का कार्यालय संचालित है।

इनकी संभावनाएं अब क्षीण

संभाग का दर्जा खत्म करने से बांसवाड़ा में जनजाति विकास विभाग आयुक्तालय, संयुक्त निदेशक शिक्षा, चिकित्सा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता जन स्वास्थ्य और अभियांत्रिकी, आरटीओ, उप निदेशक पर्यटन, रीको में उप महाप्रबंधक जैसे कार्यालय खुलने और नए पदों का सृजन होने की संभावनाएं क्षीण हो गई हैं। वहीं अब प्रशासनिक कार्यों के लिए पहले की भांति उदयपुर तक की दौड़ फिर शुरू हो जाएगी।

यह भी पढ़ें: “हमनें भैरों सिंह जी के स्मारक के लिए तुरंत जगह दी..” गहलोत बोले- मनमोहन सिंह के साथ ऐसा व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण

यह भी पढ़ें: भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला! गहलोत राज में बने 9 जिले और 3 संभाग रद्द, अब प्रदेश में कुल 41 जिले

Tags :
Banswara newsbanswara news in hindiBanswara News RajasthanBanswara news todayLatest Banswara NewsPolitical Decision in BanswaraTribal Development Policies Rajasthanबांसवाड़ा की खबरेंबांसवाड़ा न्यूज राजस्थानबांसवाड़ा से संभाग का दर्जा हटाना
Next Article