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गहलोत ने भजनलाल सरकार को घेरा.. नशे की लत....शराब पी रहे बच्चे, सरकार क्यों चुप है?

अब 10वीं और 12वीं के बच्चे भी शराब और ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं, जो हमारे समाज के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।
03:35 PM Jan 22, 2025 IST | Rajesh Singhal
Ashok Gehlot: पूूर्व सीएम अशोक गहलोत ने नशे की बढ़ती लत पर गहरी चिंता जताई। "पूरे देश में नशे की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है, और यह सिर्फ कॉलेजों तक सीमित नहीं रही, बल्कि स्कूलों में भी इसका प्रभाव दिखने लगा है। अब 10वीं और 12वीं के बच्चे भी शराब और ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं, जो हमारे समाज के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। (Ashok Gehlot)बच्चों द्वारा छोटे-बड़े अवसरों पर शराब पीने की घटना समाज को हिलाकर रख देती है। इस बढ़ते खतरे के बावजूद सरकार और प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे, जो सवाल उठाता है कि क्या सरकार सच में युवाओं के भविष्य के लिए गंभीर है?"

 नशे के बढ़ते व्यापार की जड़

गहलोत ने आरोप लगाया कि नशे के बढ़ते कारोबार के पीछे सबसे बड़ी वजह प्रशासन और सरकार की लापरवाही है। पुलिस की संलिप्तता और तस्कर गैंग के साथ मिलीभगत ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। राजस्थान में पिछले पांच सालों में 50 से अधिक पुलिसकर्मी नशे के कारोबार में शामिल पाए गए हैं, जो साफ दर्शाता है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या से निपटने के बजाय खुद इसमें लिप्त हो चुका है। यह एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा है, जिसमें सरकार की प्राथमिकताएं सवालों के घेरे में हैं।

कानूनी प्रावधानों की विफलता

हमारे देश में ड्रग्स पर प्रतिबंध के सख्त कानून हैं और सजा का भी प्रावधान है, लेकिन प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था में खामियां हैं, जो इन कानूनों को प्रभावी नहीं होने देती। ट्रायल की लंबी प्रक्रिया और सबूतों का अभाव आरोपी को बचने का अवसर देता है। यही कारण है कि युवाओं के बीच MDMA जैसे ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है। यह सवाल उठता है कि क्या हमारी सरकार और न्यायिक प्रणाली नशे के बढ़ते खतरे को रोकने में गंभीर है?

क्लब... पब कल्चर पर राजनीतिक सख्ती की आवश्यकता

मैंने दो साल पहले क्लब और पब कल्चर पर सख्ती करने की बात की थी, लेकिन इसका कड़ा विरोध हुआ। यह कदम युवाओं के भले के लिए था, लेकिन नशे के कारोबार से जुड़े लोग राजनीतिक और सामाजिक दबाव का इस्तेमाल करते हैं। नशे की लत ऐसी है कि इसे रोकने के प्रयासों को नकारा जाता है। अब सवाल यह है कि सरकार इस गंभीर समस्या के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही है या केवल राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है?

सरकार की प्राथमिकताएं...समाज की जिम्मेदारी

अब यह सवाल उठता है कि क्या सरकार और समाज अपने बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर है? क्या हम सच में इस बढ़ती समस्या का समाधान चाहते हैं, या फिर हम राजनीति और चुनावी फायदे के लिए इसे नजरअंदाज करेंगे? गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर और जोधपुर जैसे क्षेत्रों में तस्कर गैंगों के सक्रिय होने के बावजूद सरकार ने कितनी सख्ती से कार्रवाई की है? क्या यह हमारी राजनीतिक नेतृत्व की जिम्मेदारी नहीं बनती कि इन इलाकों पर विशेष ध्यान देकर तस्कर गैंगों के खिलाफ कठोर कदम उठाए?

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