गहलोत बोले- ‘RSS-BJP का एजेंडा है संस्थाओं पर कब्जा’, जानिए क्या बोले उन्होंने नए नियमों को लेकर!
Ashok Gehlot: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर भाजपा और RSS पर तीखा हमला बोला है। गहलोत ने आरोप लगाया है कि भाजपा और RSS केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर देश के संस्थानों पर कब्जा करने की साजिश कर रहे हैं। गहलोत का यह बयान उच्च शिक्षा में हो रहे बदलावों पर सवाल उठाते हुए आया है, जिसमें उन्होंने UGC के नए ड्राफ्ट प्रावधानों को उच्च शिक्षा के लिए खतरनाक करार दिया है। गहलोत के अनुसार, भाजपा और RSS का यह एजेंडा पिछले 10 सालों से लगातार चल रहा है, जिसका उद्देश्य संस्थाओं को अपने नियंत्रण में लाना और उन्हें अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करना है।
गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (Twitter) पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा, "BJP-RSS का 10 साल से पूरा प्रयास रहा है कि वह देश के तमाम संस्थानों पर दबाव बनाकर उन्हें अपने कब्जे में कर ले। (Ashok Gehlot)आज ED, CBI, इनकम टैक्स, दिल्ली पुलिस समेत तमाम केंद्रीय एजेंसियां और चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संगठन भी सरकार के इशारे पर ही काम कर रहे हैं।" गहलोत के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और भाजपा एवं RSS के खिलाफ एक नए मोर्चे की शुरुआत की है।
भाजपा और RSS पर देश के संस्थानों पर कब्जा करने का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा और RSS पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका असली एजेंडा देश के तमाम संस्थाओं पर कब्जा करना और उनका इस्तेमाल अपने राजनीतिक लाभ के लिए करना है। गहलोत का कहना था कि केंद्र सरकार अब न केवल सरकारी संस्थाओं में दबाव बना रही है, बल्कि न्यायपालिका और चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संस्थानों को भी अपने इशारे पर काम करने को मजबूर कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों से भाजपा और RSS का पूरा प्रयास है कि वे संस्थाओं को अपने नियंत्रण में लाकर उनके जरिए विपक्ष और जनता के खिलाफ अपनी राजनीतिक लड़ाई को मजबूत करें।
न्यायपालिका पर दबाव और गहलोत का विरोध
गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश की जा रही है। गहलोत का कहना था कि जब देश के सर्वोच्च न्यायालय के जज खुद यह स्वीकार कर रहे हैं कि उन पर दबाव है, तो यह देश की न्यायिक स्वतंत्रता के लिए खतरनाक संकेत है। गहलोत ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया और कहा कि पूरी जनता इस पक्षपाती कार्यशैली को लेकर चिंतित है। इस संदर्भ में राहुल गांधी का बयान पूरी तरह से उचित और समय की मांग था, यह भी उन्होंने कहा।
भारत की आजादी की लड़ाई में भी शामिल नहीं थे
गहलोत ने RSS की मंशा को लेकर भी गहरी चिंता जताई और कहा कि RSS का एजेंडा शुरू से ही सरकार में शामिल होकर उसका हिस्सा बनना था। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि RSS ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय ब्रिटिश सरकार के साथ खड़ा होना चुना था, और अब भी उनका एजेंडा यही है कि वे सरकार पर अपनी पकड़ बनाएं और संस्थाओं को अपनी राजनीतिक शक्ति के लिए इस्तेमाल करें। गहलोत के अनुसार, इस प्रकार की नीतियां देश की संस्थाओं को कमजोर करेंगी और लोकतंत्र को खतरे में डालेंगी।
ED और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग
गहलोत ने ED और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इन एजेंसियों का इस्तेमाल केवल विपक्ष और जनता को डराने के लिए कर रही है। गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ED से संबंधित एक मामले पर की गई टिप्पणी को उद्धृत करते हुए कहा कि ED की मंशा केवल लोगों को आरोपी बनाकर उन्हें जेल में बंद रखना है, न कि जांच करना। इससे यह स्पष्ट है कि ED का उपयोग केंद्रीय सरकार के विरोधियों को डराने और दबाने के लिए किया जा रहा है।
UGC के नए ड्राफ्ट पर गहलोत की कड़ी आलोचना
गहलोत ने UGC द्वारा प्रस्तावित नए नियमों को लेकर भी कड़ी आलोचना की। उनका कहना था कि ये नियम उच्च शिक्षा के भविष्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकते हैं, क्योंकि इनसे RSS के विचारकों को विश्वविद्यालयों में स्थापित करने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा। गहलोत ने बताया कि नए ड्राफ्ट के मुताबिक, अब वाइस चांसलर बनने के लिए अकादमिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी और राज्य विश्वविद्यालयों में भी वाइस चांसलर की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। इससे यह संभावना बढ़ जाएगी कि RSS के समर्थक लोग विश्वविद्यालयों में प्रमुख पदों पर काबिज हो जाएंगे, जो कि शिक्षा की स्वतंत्रता और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
संघीय व्यवस्था पर हमला
गहलोत ने इन नए नियमों को लेकर कहा कि यह देश की संघीय व्यवस्था के साथ सीधा खिलवाड़ है, क्योंकि इससे राज्यों के अधिकारों में कटौती हो रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के नियम राज्य सरकारों को कमजोर करेंगे और केंद्र सरकार के हाथों में शिक्षा का पूरा नियंत्रण जाएगा, जो लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। गहलोत ने इसे केवल RSS और भाजपा के एजेंडे का हिस्सा बताते हुए इसे उच्च शिक्षा के लिए बर्बादी का रास्ता करार दिया।
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