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"स्वामी रामभद्राचार्य सनातन धर्म की एकता ना तोड़ें..." ज्ञानदेव आहूजा बोले- आरक्षण विरोध बयान गलत

Ahuja Criticizes Rambhadra Charya’s Statement: राजनीतिक बयानबाजी में एक नया मोड़ आया है जब स्वामी रामभद्राचार्य जी ने आरक्षण का विरोध किया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कई नेताओं ने कहा है कि किसी संत को इस तरह के...
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Ahuja Criticizes Rambhadra Charya’s Statement: राजनीतिक बयानबाजी में एक नया मोड़ आया है जब स्वामी रामभद्राचार्य जी ने आरक्षण का विरोध किया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कई नेताओं ने कहा है कि किसी संत को इस तरह के विवादित बयान नहीं देने चाहिए, क्योंकि यह सनातन धर्म की एकता को कमजोर कर सकता है। इस संदर्भ में कई नेताओं ने स्वामी रामभद्राचार्य जी से निवेदन किया है कि वे सनातन धर्म की एकता को बनाए रखने के लिए ऐसे बयान से बचें, जो समाज में विभाजन की भावना उत्पन्न कर सकते हैं।

 कांग्रेस और खरगे पर सनातन धर्म को तोड़ने का आरोप

ज्ञान देव आहूजा ने संत रामभद्राचार्य के आरक्षण पर दिए गए बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, "मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, हम सनातन धर्म के अनुयायी हैं और भगवा का हमारे दिल में विशेष स्थान है," लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि संतों को समाज में विघटन पैदा करने वाले बयान नहीं देने चाहिए। आहूजा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य कांग्रेस नेताओं पर सनातन धर्म की एकता को तोड़ने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी कथनी और करनी से ही धर्म और समाज में दरारें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि संत समाज को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जिससे दलित समाज या किसी अन्य वर्ग को ठेस पहुंचे।

आहूजा ने कहा, "हमारा देश एक है और हमें मिलकर इसे एकजुट रखना चाहिए, क्योंकि जब तक हम सब एकजुट नहीं होंगे, तब तक हम भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की रक्षा नहीं कर सकते।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि आरक्षण को खत्म करने की बात अभी नहीं होनी चाहिए और समाज को एकजुट करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

 बाबा साहब की विचारधारा को क्यों नकारा गया

आहूजा ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के विचारों को समर्थन देते हुए कहा कि बाबा साहब ने उस समय जो कहा था, वह बिल्कुल सही था। उन्होंने याद दिलाया कि बाबासाहब ने धर्म के आधार पर देश के विभाजन के बारे में जो कहा था, उसे नेहरू और महात्मा गांधी ने नकार दिया था। आहूजा का कहना था कि यदि बाबा साहब की सलाह मानी जाती, तो भारत की राजनीति और समाज की दिशा कुछ और होती। आहूजा ने बाबा साहब के उस बयान को रेखांकित किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में जो हिंदू हैं उन्हें भारत लाया जाए और भारत में जो मुसलमान हैं उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाए। अगर उस वक्त यह कदम उठाया जाता तो आज भारत और पाकिस्तान की स्थिति कुछ और होती।

आहूजा ने अपने बयान में साफ कहा कि उनका उद्देश्य देश को मजबूत करना है, और देश की एकता के लिए सभी धर्मों और समुदायों को एक साथ लाना है। उनका मानना है कि यही समय है जब हम अपनी एकता को प्रकट करें और एकजुट हो जाएं, ताकि हमारी संस्कृति और राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित रहे।

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