राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

Waynad Landslide: ‘हमने जान बचाने के लिए हाथियों से मदद मांगी..’ वायनाड में आपदा के बीच सामने आई दिल छू लेने वाली ये असली कहानी

Waynad Landslide: प्रकृति भी ना जाने कितने रंग दिखाती है! कभी मां की तरह सहेजती है। तो कभी कड़ा दंड भी देती है। खासतौर पर संकट के समय प्रकृति की अलग ही सूरत सामने आती है। वायनाड (Waynad Landslide) से...
01:53 PM Aug 03, 2024 IST | Ritu Shaw
featuredImage featuredImage
Waynad Landslide

Waynad Landslide: प्रकृति भी ना जाने कितने रंग दिखाती है! कभी मां की तरह सहेजती है। तो कभी कड़ा दंड भी देती है। खासतौर पर संकट के समय प्रकृति की अलग ही सूरत सामने आती है। वायनाड (Waynad Landslide) से भी ऐसी ही एक दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है। जो मिसाल है करुणा की, मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच अनकही समझ की। वायनाड के चूरलमाला में भूस्खलन के बाद जंगली हाथियों ने मुसीबत में फंसे एक परिवार को शरण देकर इंसानों को इंसानीयत सिखाई है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय महिला सुजाता अनिनांचिरा का मकान भारी भूस्खलन के बाद ढह गया। इसके बाद सुजाता, उनकी बेटी सुजीता, पति कुट्टन और पोते सोराज (18) और मृदुला (12) मलबे में दब गईं। जैसे-तैसे परिवार यहां से जान बचाकर एक पहाड़ी तक पहुंचा। लेकिन यहां उसका सामना एक दूसरी बड़ी मुसीबत से हुआ। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने हर किसी को आश्चर्य में डाल दिया।

ये है पूरा मामला

चाय बागान में 18 साल से चाय की पत्तियां तोड़ने वाली सुजाता ने मीडिया को अपनी भयावह कहानी सुनाई: "सोमवार की रात 4 बजे से भारी बारिश हो रही थी, मैं 1.15 बजे जाग गई। जल्द ही मैंने भयानक आवाज सुनी और पानी हमारे घर में घुस आया। हमारे घर की छत हमारे ऊपर गिर गई, जिससे मेरी बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई। मैं ढही हुई दीवार से कुछ ईंटें निकालने में कामयाब रही और जैसे-तैसे बाहर निकल आई।"

इसके बाद सुजाता ने अपनी पोती को मलबे से चिल्लाते हुए सुना और बड़ी मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला। परिवार के बाकी लोग भी किसी तरह खुद को बाहर निकालने में कामयाब रहे और पानी की धार को पार करते हुए आखिरकार पास की एक पहाड़ी पर चढ़ गए। घुप अंधेरा था। लेकिन पहाड़ी पर पहुंचने पर, उन्हें एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने उन्हें डरा दिया। वहां एक नर और दो मादा हाथी कुछ इंच की ही दूरी पर खड़े थे। उन्हें देखकर सुजाता की पोती एक पेड़ से चिपककर खड़ी हो गई।

पीड़ित परिवार ने सुनाई आपबीती

सुजाता बताती हैं, "घना अंधेरा था और हमसे सिर्फ़ आधा मीटर की दूरी पर एक जंगली हाथी खड़ा था। वह भी डरा हुआ लग रहा था। मैंने हाथी से विनती की कि हम अभी-अभी एक आपदा से बचकर आए हैं और उससे रात गुजारने की अनुमति मांगी। साथ ही हमने यह भी गुजारिश की कि किसी को हमें बचाने आने देना।” आश्चर्यजनक ढंग से हाथी ने उनकी गुजारिश को समझा और उन्हें कोई नुकसान पहुंचाए बिना स्थिर रहा। सुजाता ने कहा, "हम हाथी के पैरों के बहुत करीब थे, लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह हमारी परेशानी को समझ रहा था। हम सुबह 6 बजे तक वहीं रहे और हाथी भी तब तक वहीं खड़े रहे जब तक कि सुबह कुछ हमें बचाने के लिए नहीं आ गए। शायद वे हाथी हमारे लिए ही वहां खड़े रहे। मैं देख सकती थी कि भोर होते ही हाथी की आंखें भर आईं।”

शशि थरूर ने शेयर किया

इस कहानी को कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर लिखा, "बेघर भूस्खलन पीड़ितों ने अपना दुख एक हाथी को बताया, जो उनके लिए रोया और पूरी रात उन्हें आश्रय दिया…"।

यह भी पढ़ेंParis Olympics 2024: शॉटगन में राजस्थान की बेटी से मेडल की उम्मीद, माहेश्वरी चौहान पर टिकी नजरें

Tags :
Elephant Behavior During LandslideElephant Encounter in WayanadElephants in KeralaEmotional Elephant EncounterHuman-Elephant InteractionHuman-Wildlife Conflict WayanadKerala Landslide NewsKerala Landslide UpdatesLandslide Survival StoriesSurvivor Stories WayanadWayanad Landslide 2024Wayanad Landslide SurvivorsWayanad Natural DisastersWayanad Wildlife EncountersWildlife in Wayanad