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Umar Khalid Gets Bail: उमर खालिद को मिली अंतरिम जमानत, दिल्ली दंगों के आरोप में जेल में है बंद

Umar Khalid Gets Bail: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को स्टूडेंट एक्टिविस्ट उमर खालिद को पारिवारिक शादी में शामिल होने के लिए सात दिन की अंतरिम जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेई ने खालिद को यह राहत...
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Umar Khalid Gets Bail: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को स्टूडेंट एक्टिविस्ट उमर खालिद को पारिवारिक शादी में शामिल होने के लिए सात दिन की अंतरिम जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेई ने खालिद को यह राहत दी।

कब से जेल में है उमर खालिद?

उमर खालिद 13 सितंबर 2020 से जेल में है। उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। खालिद ने कई बार अदालत में जमानत के लिए याचिकाएं दायर कीं, जिसमें लंबे समय तक कैद और सुनवाई में देरी जैसे आधार शामिल थे। हालांकि, उनकी याचिकाओं पर कई बार सुनवाई स्थगित और खारिज की गई है।

उमर खालिद पर क्या आरोप है?

खालिद पर 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और कानून-व्यवस्था को बाधित करने की साजिश रचने का आरोप है। पुलिस का आरोप है कि उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ बड़े पैमाने पर दंगे भड़काने का काम किया था।

पुलिस का यह भी दावा है कि खालिद ने ‘भड़काऊ’ भाषण दिए, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ा। उनके खिलाफ यह भी आरोप है कि उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनों का आयोजन किया और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर हिंसा को उकसाने का प्रयास किया। UAPA के तहत उन पर विदेशों से वित्तीय और लॉजिस्टिक मदद प्राप्त करने का आरोप भी लगाया गया है।

उमर खालिद ने अदालत में क्या कहा?

7 दिसंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय में उमर खालिद ने तर्क दिया कि पुलिस अब तक उनके खिलाफ दंगों और साजिश में संलिप्तता का कोई भौतिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाई है। खालिद ने दावा किया कि पुलिस ने उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया है कि उन्होंने धन जुटाया, प्राप्त किया, या किसी आतंकी गतिविधि में शामिल थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके भाषण के केवल उन अंशों को उठाया जो कुछ नेताओं के एजेंडे के अनुकूल थे।

खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने अदालत में कहा, “महाराष्ट्र में दिए गए मेरे भाषण को लेकर मामला है। वहां भीड़ की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। यह भाषण गांधीवादी अहिंसा के सिद्धांतों को लेकर था और सीएए के खिलाफ विरोध करने की बात कर रहा था। दिल्ली में इसका कोई असर नहीं था।”

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