Triveni Sangam Water: क्या त्रिवेणी संगम का जल सुरक्षित है? बंटी विशेषज्ञों की राय
Triveni Sangam Water: त्रिवेणी संगम के जल में फीकल कोलीफॉर्म (एफसी) की बढ़ती मात्रा को लेकर उपजे विवाद के बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को कहा कि संगम का जल स्नान के लिए उपयुक्त है।
प्रोफेसर सिंह ने बताया, "रिपोर्ट में घुले हुए ऑक्सीजन का स्तर अच्छा बताया गया है... वर्तमान आंकड़ों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि त्रिवेणी संगम का जल स्नान के लिए सुरक्षित है।" उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण आंकड़ों की कमी है।
सीपीसीबी की रिपोर्ट में खुलासा
उन्होंने कहा, "सीपीसीबी ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें जल में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा अधिक होने की बात कही गई थी। मेरा मानना है कि सीपीसीबी को इस रिपोर्ट पर और काम करने की जरूरत है क्योंकि इसमें नाइट्रेट और फॉस्फेट की सांद्रता का उल्लेख नहीं किया गया है। जब मैंने आंकड़ों का विश्लेषण किया, तो पाया कि ये महत्वपूर्ण डेटा गायब थे।"
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
इस मुद्दे पर केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार के एसोसिएट प्रोफेसर आर.के. रंजन ने भी कहा कि उपलब्ध आंकड़े यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि संगम का जल स्नान के लिए अनुपयुक्त है। उन्होंने कहा, "सीपीसीबी के आंकड़े बहुत असंगत हैं। यह कहना जल्दबाजी होगी कि जल स्नान के लिए असुरक्षित है। प्रयागराज में जल स्नान के लिए सुरक्षित है या नहीं, इस पर निष्कर्ष निकालने के लिए अधिक डेटा की आवश्यकता है।"
जल में प्रदूषण का कारण
उन्होंने यह भी बताया कि जल में प्रदूषण के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों का एक साथ स्नान करना भी शामिल है। उन्होंने कहा, "इसी तरह के आंकड़े गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर, बक्सर और पटना से भी मिलते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक कारण यह भी है कि जब एक साथ बहुत से लोग स्नान करते हैं तो जल में जीवाणुओं की संख्या बढ़ सकती है। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि जल का नमूना कहां से और किस समय लिया गया है।"
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के सहायक प्रोफेसर अमित कुमार मिश्रा ने भी अधिक डेटा एकत्र करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि जल में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की उपस्थिति कोई नई बात नहीं है।
उन्होंने कहा, "हमें और अधिक डेटा सेट की आवश्यकता है, हमें अधिक माप लेने होंगे... महाकुंभ में बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं। अगर आप शाही स्नान के आंकड़ों को देखें तो पाएंगे कि उस समय ई.कोली बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है। निष्कर्ष रूप में, मैं कहूंगा कि हमें अधिक डेटा सेट, अधिक मापदंडों और विशेष रूप से डाउनस्ट्रीम पर अधिक निगरानी स्टेशनों की आवश्यकता है।"
उन्होंने बताया कि तीन माइक्रोग्राम प्रति लीटर का स्तर स्नान के लिए सुरक्षित माना जाता है। मिश्रा ने जल के पीएच स्तर पर भी ध्यान देने की बात कही और बताया कि संगम का जल क्षारीय प्रवृत्ति का है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्रिवेणी संगम के जल में फीकल संदूषण को लेकर उठ रही चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी और शुद्धिकरण की प्रक्रिया जारी है।
राज्य विधानसभा में उन्होंने कहा, "त्रिवेणी संगम के जल की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं... संगम क्षेत्र में सभी पाइप और नालों को बंद कर दिया गया है और जल को शुद्धिकरण प्रक्रिया के बाद ही छोड़ा जा रहा है।" सीएम योगी ने यह भी जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) संगम के जल की नियमित रूप से जांच कर रहा है।
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