Dhar BhojShala Survey: धार 'भोजशाला' के सबूतों से आप हो जाएंगे हैरान, खंभे पर मिलीं ये मूर्तियां...
Dhar BhojShala Survey: धार। मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग सर्वे कर रहा है। सर्वे में वहां मंदिर होने के कई प्रमाण मिलने की बात कही जा रही है। गुरुवार (16 मई) के दिन सर्वे के लिए ASI के 12 अधिकारी और 41 मजदूर भोजशाला परिसर पहुंचे।
हिंदू एवं मुस्लिम पक्षकारों की उपस्थिति में यह सर्वे किया जा रहा है। कुछ दिन पहले सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष की ओर से हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री, गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष की ओर से अब्दुल समद भोजशाला में दाखिल हुए थे।
भोजशाला मंदिर ही है - रंजना अग्निहोत्री
सर्वे में शामिल होने के बाद रंजना अग्निहोत्री (Ranjana Agnihotri) ने मीडिया से बात करते हुए भोजशाला से जुड़े कई तथ्य उजागर किए हैं। उन्होंने कहा कि भोजशाला के नीचे एक भवन और है जो मंदिर या गर्भगृह हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज उत्खनन के दौरान भोजशाला के अंदर से धातु के कुछ सिक्के भी मिले हैं।
दावा किया कि भोजशाला से जो अवशेष मिल रहे हैं, उससे यह साबित होता है कि भोजशाला मंदिर ही है। उन्होंने बताया कि भोजशाला का सर्वे एरिया काफी बड़ा है। इसलिए एएसआई की टीम को हाईकोर्ट से एक बार और समय लेना पड़ सकता है। उन्होंने (Ranjana Agnihotri) एएसआई के अधिकारियों पर किसी भी सवाल का जवाब न देने का आरोप भी लगाया है। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे।
मिलने लगे सबूत?
धार भोजशाला (Bhojshala) परिसर के अंदर ASI के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश में हैं कि यहां मंदिर था या मस्जिद। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले रहस्य भी सामने आने लगे हैं। यहां इस बात के पुख्ता सबूत मिल रहे हैं जो इस बात की गवाही देते हैं कि भोजशाला कभी मंदिर रहा होगा। इस क्रम में भीतरी परिसर के दक्षिण भाग में खुदाई अब भी जारी हैं।
इस ट्रेंच में कई सीढ़ीनुमा संरचनाएं मिलीं हैं। वहीं, एक खंभे पर उत्तर में भगवान कृष्ण सुदर्शन चक्रधारी की आकृति भी स्पष्ट दिखने लगी है। खंभे के दक्षिण की ओर भगवान राम की धनुषधारी मूर्ति दिख रही है। इस खंभे के पूर्व में (Dhar BhojShala Survey) भगवान परशुराम खड़े हैं। पश्चिम में भगवान शंकर दिख रहे हैं। यह दावा हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने 15 मई को किया।
ऐसे हुई विवाद की शुरूआत
भोजशाला (Dhar BhojShala Survey) मामले में विवाद की शुरुआत साल 1995 में तब हुई जब हिंदुओं ने यहां पूजा की अनुमति मांगी। इसके बाद प्रशासन ने हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी। वहीं, मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज पढ़ने की भी अनुमति मिली। साल 1997 में विवाद एक बार फिर से बढ़ गया। इसके बाद 12 मई 1997 को यहां आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
तब से हिंदुओं को केवल बसंत पंचमी पर पूजा करने और मुसलमानों को शुक्रवार के दिन 1 से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। वर्ष 2003 में फिर से नियमित पूजा की अनुमति मिली और पर्यटकों के लिए भी भोजशाला (Dhar BhojShala Survey) को खोल दिया गया।
हालांकि बाद में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के बैनर तले हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर हिंदुओं को यहां पूजा करने का पूरा अधिकार देने की मांग की। इस पर 11 मार्च 2024 को अदालत ने ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला में सर्वे का आदेश जारी कर दिया।
क्या राजा भोज ने बनवाई भोजशाला?
कहा जाता है कि राजा भोज (Raja Bhoj) ने भोजशाला को बनवाया था। हजारों साल पहले यहां परमार वंश का राज था। 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज ने यहां शासन किया। वह देवी सरस्वती के अनन्य भक्त थे। इसलिए 1034 ईस्वी में उन्होंने एक महाविद्यालय की स्थापना की जिसे आगे चलकर उनके नाम पर ही 'भोजशाला' नाम मिला। कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने 1305 ई. में भोजशाला (Dhar BhojShala Survey) को ध्वस्त कर दिया। फिर 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने इसके एक हिस्से में मस्जिद बनवाई। महमूद शाह खिलजी ने 1514 ई. में इसके दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी।
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