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Sitharaman VS Congress: संविधान पर चर्चा के दौरान सीतारमण और खड़गे के बीच वाकयुद्ध, राज्यसभा में गरमाया माहौल

Sitharaman VS Congress: राज्यसभा में सोमवार को भारतीय संविधान पर चर्चा के दौरान तीखी बहस देखने को मिली, जिसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। निर्मला सीतारमण ने क्या कहा?...
03:37 PM Dec 16, 2024 IST | Ritu Shaw

Sitharaman VS Congress: राज्यसभा में सोमवार को भारतीय संविधान पर चर्चा के दौरान तीखी बहस देखने को मिली, जिसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया।

निर्मला सीतारमण ने क्या कहा?

निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस और उसके नेताओं, विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए संवैधानिक संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि सत्ता में बने रहने के लिए थे।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत, जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, उसने संविधान अपनाए जाने के एक साल के भीतर ही अंतरिम सरकार द्वारा एक ऐसा संवैधानिक संशोधन देखा, जिसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाना था।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्या कहा?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान पर सीतारमण की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि भले ही उनकी भाषा अच्छी हो सकती है, लेकिन उनके कर्म अच्छे नहीं हैं।

राज्यसभा में बहस के दौरान खड़गे ने कहा, "मुझे उन्हें बताना है कि मैं भी पढ़ना जानता हूं। मैंने नगरपालिका स्कूल में पढ़ाई की है, जबकि उन्होंने (निर्मला सीतारमण) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है। यह निश्चित है कि उनकी अंग्रेजी अच्छी होगी, उनकी हिंदी अच्छी होगी, लेकिन कर्म अच्छे नहीं हैं।"

खड़गे ने आगे कहा कि जो लोग संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और अशोक चक्र से "नफरत" करते हैं, वे "ग्रैंड ओल्ड पार्टी" को उपदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह क्या है? जब यह संविधान बना... इन लोगों ने संविधान जलाया। उन्होंने उस दिन रामलीला मैदान (दिल्ली) में बाबासाहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के पुतले जलाए जिस दिन संविधान अपनाया गया।"

कांग्रेस का बचाव करते हुए खड़गे ने कहा कि जब कई शक्तिशाली देशों में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार नहीं था और महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, उस समय कांग्रेस और संविधान ने इन अधिकारों को देश को दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ (अब भाजपा) ने इसका विरोध किया था।

राज्यसभा में खड़गे ने यह भी कहा कि संविधान सभा की बहसों से यह स्पष्ट है कि "आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के खिलाफ थे।"

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