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Shyam Benegal Demise: 90 वर्ष की उम्र में श्याम बेनेगल का निधन, भारतीय सिनेमा के युग का अंत

Shyam Benegal Demise: भारत के प्रख्यात फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का सोमवार शाम को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की। श्याम बेनेगल, जिन्हें भारतीय समानांतर सिनेमा के...
10:22 PM Dec 23, 2024 IST | Ritu Shaw

Shyam Benegal Demise: भारत के प्रख्यात फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का सोमवार शाम को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की। श्याम बेनेगल, जिन्हें भारतीय समानांतर सिनेमा के अग्रणी निर्देशकों में से एक माना जाता है, उन्होंने अपने लंबे करियर में अंकुर, भूमिका, मंथन और निशांत जैसी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मों का निर्देशन किया।

हाल ही में मनाया था 90वां जन्मदिन

अपने निधन से कुछ ही दिनों पहले श्याम बेनेगल ने मुंबई में परिवार और करीबी दोस्तों के साथ अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। अभिनेत्री शबाना आज़मी, जिन्होंने बेनेगल की फिल्म अंकुर से अपने करियर की शुरुआत की थी, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक तस्वीर साझा की थी, जिसमें अभिनेता नसीरुद्दीन शाह भी नजर आए।

भारतीय सिनेमा को दी नई पहचान

श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा को नई दिशा और पहचान दी। उनकी फिल्मों में यथार्थ और सामाजिक मुद्दों का गहराई से चित्रण होता था। 1970 और 1980 के दशक में समानांतर सिनेमा आंदोलन को मजबूती देने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

बेनेगल को कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनकी प्रमुख फिल्में भूमिका: द रोल (1977), जुनून (1978), अरोहन (1982), नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2004), मंथन (1976) और वेल डन अब्बा (2010) को बड़े पैमाने पर सराहा गया।

अंतिम फिल्म और कान्स में सम्मान

2023 में आई उनकी आखिरी फिल्म मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के जीवन पर आधारित एक बायोपिक थी।

इस साल उनकी बहुचर्चित फिल्म मंथन के पुनर्स्थापित संस्करण को कान्स फिल्म फेस्टिवल के ‘कान्स क्लासिक्स’ सेगमेंट में प्रदर्शित किया गया। यह फिल्म भारत में दुग्ध क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के आंदोलन से प्रेरित थी। मंथन ने 1977 में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म और सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। यह 1976 में भारत की ओर से सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के ऑस्कर में भी नामांकित हुई।

श्याम बेनेगल का योगदान न केवल भारतीय सिनेमा को समृद्ध बनाने में था, बल्कि उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों को भी बड़े पर्दे पर उकेरने का साहस दिखाया। उनके निधन से सिनेमा जगत में एक युग का अंत हो गया।

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