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SC On Women Bar Reservation: महिला आरक्षण की मांग पर पुरुष वकील का सहारा, सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी

SC On Women Bar Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महिला वकील द्वारा गुजरात बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की याचिका पर बहस के लिए एक पुरुष वकील को चुनने पर हैरानी जताई। जस्टिस सूर्यकांत और...
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SC On Women Bar Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महिला वकील द्वारा गुजरात बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की याचिका पर बहस के लिए एक पुरुष वकील को चुनने पर हैरानी जताई।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने याचिकाकर्ता, अधिवक्ता मीना ए. जगताप, से पूछा कि जब वह बार बॉडी में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण की मांग कर रही हैं, तो उन्होंने खुद अदालत में अपनी बात रखने के बजाय एक पुरुष वकील पर भरोसा क्यों किया।

पीठ ने टिप्पणी की, "वह बार बॉडी में 33% आरक्षण चाहती हैं, लेकिन इस मुद्दे को उठाने के लिए एक पुरुष वकील को चुनती हैं। यदि वह प्रतिनिधित्व का अधिकार मांग सकती हैं, तो निश्चित रूप से वह खुद अपनी याचिका पर बहस कर सकती हैं।" याचिकाकर्ता की ओर से पेश पुरुष वकील ने आश्वासन दिया कि जगताप अगली सुनवाई, जो 19 दिसंबर को निर्धारित है, उसमें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर बहस करेंगी।

बार एसोसिएशन में महिला आरक्षण

पीठ ने महिला वकीलों के लिए आरक्षण जैसे मुद्दों पर नेतृत्व का उदाहरण पेश करने की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “एक महिला अधिवक्ता को आरक्षण मांगते हुए पुरुष वकील के कंधों का सहारा क्यों लेना चाहिए? वह खुद क्यों नहीं इस मुद्दे पर अदालत में बहस कर सकतीं? हम उनके विचार सीधे उनसे सुनना चाहेंगे।”

जगताप की याचिका अहमदाबाद बार एसोसिएशन के निर्वाचित पदों में महिला वकीलों के लिए 33% कोटा लागू करने की मांग करती है। यह याचिका ऐसे समय में आई है जब देशभर के बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए आरक्षण को लेकर चर्चा हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) में कार्यकारी सदस्यों और पदाधिकारियों के लिए 33% आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया था, जिसे SCBA की 2024 की चुनाव प्रक्रिया में लागू किया गया। यह निर्देश देशभर के अन्य बार एसोसिएशनों के लिए एक मिसाल बन गया है।

जस्टिस सूर्यकांत की पीठ दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) की कार्यकारिणी में महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग करने वाली तीन महिला वकीलों द्वारा दायर याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही है।

हालांकि DHCBA की आम सभा ने अपनी कार्यकारिणी में महिला आरक्षण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पिछले हफ्ते बार नेताओं से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इस मुद्दे पर “व्यावहारिक” और “उपयोगी” समाधान लाने का अनुरोध किया था।

महिला वकीलों के लिए महत्वपूर्ण

यह मामला न केवल महिला वकीलों के लिए बार बॉडी में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में अहम है, बल्कि यह इस बात पर भी जोर देता है कि जो लोग बदलाव की मांग कर रहे हैं, उन्हें खुद इसका नेतृत्व करना चाहिए।

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