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SC on Jail Rules: सुप्रीम कोर्ट ने दिए जेल नियमों में बदलाव के आदेश, जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव को लेकर जताई चिंता

SC on Jail Rules: उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे अपने जेल मैनुअल को तीन सप्ताह के भीतर संशोधित करें और किसी भी ऐसे प्रावधान को समाप्त करें जो जेलों में...
04:52 PM Oct 03, 2024 IST | Ritu Shaw

SC on Jail Rules: उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे अपने जेल मैनुअल को तीन सप्ताह के भीतर संशोधित करें और किसी भी ऐसे प्रावधान को समाप्त करें जो जेलों में जाति आधारित भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।

जाति आधारित भेदभाव की याचिका पर सुनवाई

एक याचिका की सुनवाई के दौरान, जिसमें जेलों में जाति आधारित भेदभाव और पृथकीकरण को रोकने की मांग की गई थी, मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार करना एक औपनिवेशिक विरासत है जिसे समाप्त करना चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि जेल अधिकारियों द्वारा कैदियों के साथ मानवता भरा व्यवहार किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

उच्चतम न्यायालय ने कहा, "कैदियों के बीच कार्य वितरण जाति की पदानुक्रम के आधार पर करना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है।" न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि कैदियों को खतरनाक स्थितियों में सीवर या टैंकों की सफाई करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पुलिस को जाति आधारित भेदभाव के मामलों को गंभीरता से निपटाने के लिए निर्देशित किया गया है।

विशेष जाति के कैदियों से न साफ करवाएं सीवर टैंक

न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि विशेष वर्गों के कैदियों के पास जेलों में कार्य का उचित वितरण का अधिकार है और राज्यों को तीन महीने के भीतर आपत्तिजनक नियमों को संशोधित करने का आदेश दिया। पीठ ने यह भी कहा कि कुछ जातियों से सफाईकर्मियों का चयन करना और उनसे सीवर टैंक साफ करवाना समरसता के खिलाफ है।

क्या है मामला?

यह मामला सुकन्या शांता द्वारा दायर की गई याचिका पर आधारित है, जो महाराष्ट्र के कल्याण की निवासी हैं। उन्होंने अदालत में दलील दी कि कुछ राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल, में ऐसे जेल नियम हैं जो जाति के आधार पर भेदभाव करते हैं। न्यायालय ने इस प्रथा को अस्वीकार्य करार दिया। यह निर्णय सभी कैदियों के लिए समानता और सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, चाहे उनकी जाति कुछ भी हो।

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