RIP Zakir Hussain: नहीं रहे ज़ाकिर हुसैन, 73 वर्ष की उम्र में दुनिया को कह गए अलविदा!
RIP Zakir Hussain: भारत के लिए रविवार बड़ा शोकदायी साबित रहा, जब देर शाम मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन के इंतेकाल की खबर सामने आई। वे गंभीर रूप से बीमार थे। खबरों के मुताबिक हुसैन दो सप्ताह तक अमेरिका के एक अस्पताल में आईसीयू में रहे और रविवार को हृदय और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया। इससे पहले, संगीतकार के एक करीबी सूत्र ने मीडिया को बताया था, "उन्हें हृदय और फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का सामना करने के बाद दो सप्ताह पहले सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत बहुत गंभीर है और डॉक्टर बहुत आशान्वित नहीं हैं। उनका पूरा परिवार भारत से उनके पास अमेरिका पहुंच गया है।"
लंबे समय से चल रहे थे बीमार
73 वर्षीय दिग्गज संगीतकार, प्रतिष्ठित तबला कलाकार उस्ताद अल्लाह रक्खा के बेटे, कुछ समय से अस्वस्थ थे। इसी कारण से उनके कुछ आगामी संगीत कार्यक्रम भी रद्द कर दिए गए थे। कई लोगों ने हुसैन की बीमारी के बारे में खबर की पुष्टि की। ग्रैमी विजेता बांसुरी वादक राकेश चौरसिया, जो हुसैन के करीबी दोस्त भी हैं, ने पीटीआई को बताया, "वे अस्वस्थ हैं और आईसीयू में भर्ती हैं। हम सभी स्थिति को लेकर चिंतित हैं"। पत्रकार परवेज आलम ने एक्स पर खबर साझा करते हुए बताया कि तबला के दिग्गज के बहनोई अयूब औलिया ने फोन कॉल पर अस्पताल में भर्ती होने की पुष्टि की थी। लंदन में रहने वाले औलिया ने प्रशंसकों और अनुयायियों से अनुरोध किया कि वे उस्ताद को अपनी प्रार्थनाओं में याद रखें।
आलम ने ट्वीट किया, "उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, तबला वादक, तालवादक, संगीतकार, पूर्व अभिनेता और महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा के बेटे की तबीयत ठीक नहीं है। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को अस्पताल में उनकी गंभीर बीमारियों का इलाज चल रहा है, उनके बहनोई अयूब औलिया ने बताया... औलिया साहब ने जाकिर के अनुयायियों से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करने का अनुरोध किया।"
ज़ाकिर हुसैन के पुरस्कार
भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपने असाधारण योगदान के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध उस्ताद जाकिर हुसैन ने इस साल तीन ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिसमें बेला फ्लेक और एडगर मेयर के साथ पश्तो में उनके योगदान के लिए बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉरमेंस ग्रैमी भी शामिल है। हुसैन को ग्रैमी पुरस्कार के लिए सात नामांकन मिले, जिनमें से चार जीते। उन्हें इस साल की शुरुआत में मुंबई में उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान पुरस्कार भी मिला।
खुद को बताते थे 'छात्र'
मीडिया इंटरव्यू में हुसैन खुद को एक "छात्र" बताते थे। वे कहते थे, "एक छात्र होने और सीखने की ललक मुझे आगे बढ़ने में मदद करती है। सभी युवा संगीतकारों से प्रेरणा लेने का अवसर मुझे खुद को नया रूप देने में मदद करता है। उम्र मेरी ऊर्जा और प्रेरणा को प्रभावित नहीं करती है। मैंने अपने पिता को 76 साल की उम्र में भी अपने कौशल को निखारने की कोशिश करते देखा है! यह मेरे लिए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था। जैसे कि वह संगीत के बारे में बात नहीं करता था और बस मंच पर जाकर प्रदर्शन करता था। यह हमेशा अपने काम में लगे रहने और अपने हुनर को बेहतर बनाने के बारे में था। उस ललक और लत को देखना कुछ ऐसा है जिसने मुझे भी प्रेरित किया है।”
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