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Rahul Gandhi Dissent Note: राहुल गांधी ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर जताई आपत्ति, जारी किया असहमति नोट

Rahul Gandhi Dissent Note: विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ग्यानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त करने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है।
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Rahul Gandhi Dissent Note: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा ग्यानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त करने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस नियुक्ति को "अर्धरात्रि निर्णय" करार देते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया।

गौरतलब है कि राहुल गांधी चुनाव आयुक्त चयन समिति के तीन सदस्यों में से एक हैं, अन्य दो सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं। उन्होंने इस चयन प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब इस नियुक्ति से संबंधित कानून को लेकर न्यायालय में सुनवाई होनी है, तब इस निर्णय को जल्दबाजी में लेना उचित नहीं था।

राहुल गांधी का विरोध और असहमति नोट

राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमति नोट (Dissent Note) प्रस्तुत किया, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया। उन्होंने इस नोट में लिखा, "स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोग की सबसे बुनियादी शर्त यह है कि उसे कार्यपालिका के प्रभाव से मुक्त रखा जाए। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटा दिया है, जिससे भारत के करोड़ों मतदाताओं की चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर चिंता और बढ़ गई है।"

उन्होंने आगे कहा कि बतौर लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP), यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे सरकार को जवाबदेह बनाए रखें। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का मध्यरात्रि में इस नियुक्ति पर निर्णय लेना न केवल अनुचित है, बल्कि न्यायिक प्रक्रियाओं के प्रति असंवेदनशीलता को भी दर्शाता है, विशेष रूप से तब जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई मात्र 48 घंटे के भीतर करने वाला है।

चयन प्रक्रिया पर विवाद

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर विवाद तब बढ़ा जब केंद्र सरकार ने 2023 में एक नया कानून पारित किया, जिसके तहत चयन समिति में प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री (वर्तमान में गृह मंत्री), और विपक्ष के नेता को शामिल किया गया। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश जारी कर चयन समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने का प्रावधान किया था।

नए कानून का विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है। उनका तर्क है कि इससे सरकार को चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में अनुचित लाभ मिलेगा, जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट 22 फरवरी को सुनवाई करने वाला है।

इस विवाद के बीच केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट है कि यदि नियुक्ति प्रक्रिया रोकी जाती है, तो मुख्य चुनाव आयुक्त का पद रिक्त रह जाएगा, जिससे आगामी चुनावों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस स्थिति में, अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई और उसके फैसले पर टिकी हुई है।

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