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Rahul Gandhi Cooking Session: कोल्हापुर में "दलित की रसोई" में पहुंचे राहुल गांधी, बनाई ये मराठी डिश

Rahul Gandhi Cooking Session: हाल ही में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक गांव में एक दलित किसान, अजय तुकाराम सानाडे के घर जाकर दलित व्यंजनों का अनुभव किया। उन्होंने यह जानने की इच्छा जताई कि "वे क्या...
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Rahul Gandhi Cooking Session: हाल ही में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक गांव में एक दलित किसान, अजय तुकाराम सानाडे के घर जाकर दलित व्यंजनों का अनुभव किया। उन्होंने यह जानने की इच्छा जताई कि "वे क्या खाते हैं, कैसे पकाते हैं और इसका सामाजिक और राजनीतिक महत्व क्या है।" इतना ही नहीं राहुल गांधी ने खुद इस परिवार के साथ मिलकर उनके किचन में खाना पकाया और भोजन का लुत्फ भी उठाया।

राहुल गांधी ने कुकिंग में की मदद

राहुल गांधी ने परिवार के साथ एक स्वादिष्ट और "मसालेदार" भोजन का आनंद लिया और इसके साथ ही खाना बनाने में उनकी मदद भी की। उनके साथ शाहू पटोले भी थे, जो 'दलित किचन ऑफ मराठवाड़ा' की पुस्तक के लेखक हैं। शाहू पटोले ने कहा, "कोई नहीं जानता कि हम (दलित) क्या खाते हैं।" इस पर राहुल गांधी ने जवाब दिया, "आपने एक दिलचस्प बात कही कि कोई नहीं जानता कि आप क्या खाते हैं, कैसे पकाते हैं। इसलिए मैं यहां आया हूं।"

54 वर्षीय राहुल गांधी ने रसोई में जाकर कहा, "मैं ज्यादा मसाला नहीं खाता।" इसके बाद बातचीत जाति आधारित भेदभाव की ओर मुड़ गई। पटोले ने कहा, "मेरे गांव में (उच्च जाति के लोग) मेरे घर का पानी या चाय तक नहीं लेते।" उन्होंने यह भी कहा, "वे अब मेरी रैंक का सम्मान करते हैं, लेकिन मेरी जाति का नहीं। लोग अपने जाति और उपनाम छिपाते हैं।"

राहुल गांधी और पटोले ने 'हरभ्यांची भाजी' चने की हरी पत्तियों की सब्जी, 'तुवर दाल' बैंगन के साथ और प्याज की सब्जी बनाकर दोपहर के भोजन का आनंद लिया। उन्होंने इस सब्जियों और दाल को महाराष्ट्रियन शैली की ज्वार की भाकरी के साथ परोसा।

दलित परिवार ने किया राहुल गांधी का स्वागत

सानाडे परिवार ने बताया कि "उनके अचानक आगमन के लिए हम पूरी तरह से तैयार नहीं थे। पहले, हमने उन्हें पानी और चाय दी और बाद में उन्होंने कहा कि उन्हें भूख लग रही है और उन्होंने हमारे रसोई में कुछ पकाने की इच्छा जताई।"

सोशल मीडिया पर दी जानकारी

कांग्रेस नेता ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X से इसकी कुछ झलक भी शेयर की है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "पटोले और सानाडे परिवार के व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से, हमने दलित व्यंजनों के प्रति जागरूकता की कमी और इस संस्कृति को दस्तावेजित करने के महत्व पर चर्चा की।"

उन्होंने कहा कि संविधान बहुजन को अधिकार और हिस्सेदारी देता है, और हम उस संविधान की रक्षा करेंगे। लेकिन सच्ची समावेशिता और सभी के लिए समानता तभी संभव होगी जब हर भारतीय भाईचारे की भावना के साथ प्रयास करे।

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