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Premanand Ji Padyatra: प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा पर विराम, स्थानीय निवासियों की शिकायतों पर लिया फैसला

Premanand Ji Padyatra: आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज ने अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है।
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Premanand Ji Padyatra: प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और राधा वल्लभ संप्रदाय के संत प्रेमानंद महाराज, जिन्हें गोविंद शरण जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय स्थानीय निवासियों की शिकायतों के बाद लिया गया, जिनका कहना था कि रात्रि में होने वाले संकीर्तन और भजनों की आवाज़ से उन्हें असुविधा हो रही थी।

प्रेमानंद महाराज, जिनका जन्म 1969 में अनिरुद्ध कुमार पांडेय के रूप में हुआ था। मात्र 13 वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण कर चुके थे। तब से ही वे लाखों श्रद्धालुओं को भक्ति और आध्यात्मिकता की राह पर चलने की प्रेरणा दे रहे हैं। उनका प्रतिदिन रात 2 बजे श्री कृष्ण शरणम आश्रम से श्री राधा केली कुंज तक की जाने वाली पदयात्रा एक विशेष अनुष्ठान थी, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से भक्तगण वृंदावन आते थे। यह आध्यात्मिक यात्रा प्रेम और भक्ति की अनूठी छटा बिखेरती थी, लेकिन हालिया घटनाओं के चलते इसे रोक दिया गया है।

स्थानीय निवासियों की शिकायतें बनीं कारण

एनआरआई ग्रीन कॉलोनी के निवासियों ने पदयात्रा के दौरान होने वाले शोर-शराबे को लेकर आपत्ति जताई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, संकीर्तन, भजन, और आतिशबाज़ी की वजह से स्थानीय बुजुर्गों और स्कूल जाने वाले बच्चों की नींद प्रभावित हो रही थी, जिससे उनके स्वास्थ्य और दिनचर्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए प्रेमानंद महाराज ने रात्रिकालीन पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया।

भक्तों में भावनात्मक उथल-पुथल

रात्रिकालीन पदयात्रा की स्थगन से भक्तगण भावनात्मक रूप से व्यथित हो गए हैं। हर दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त से पहले महाराज जी के दर्शन की प्रतीक्षा करने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए यह निर्णय अप्रत्याशित था। हालांकि, प्रेमानंद महाराज के इस निर्णय का भक्तों ने सम्मान किया और स्थानीय निवासियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उनके फैसले को स्वीकार किया।

हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज सुबह 4 बजे प्रेमानंद महाराज कार से यात्रा करते हुए भक्तों से मिलने आए और फिर वृंदावन की ओर पैदल चले। इस बदलाव के बावजूद, उनके अनुयायी उनकी भक्ति-भावना और प्रेम संदेश को लेकर निरंतर समर्पित बने हुए हैं।

स्वास्थ्य और भीड़ बढ़ने की वजह से भी लिया गया निर्णय

आश्रम की ओर से जारी किए गए वक्तव्य के अनुसार, पदयात्रा स्थगित करने के पीछे मुख्य रूप से दो कारण हैं – पहला, प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य, और दूसरा, बढ़ती भीड़। वृंदावन में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही थी, जिससे स्थानीय व्यवस्था पर दबाव बढ़ गया था।

आश्रम प्रशासन ने बार-बार भक्तों से अनुरोध किया था कि वे पदयात्रा के दौरान ध्वनि प्रदूषण न करें, लेकिन इन अनुरोधों का पूरी तरह से पालन नहीं हो सका। अंततः, स्थानीय लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए महाराज जी ने यह बड़ा फैसला लिया।

श्रद्धालु इस बदलाव से भले ही आहत हों, लेकिन वे जानते हैं कि उनके पूज्य गुरु का हर निर्णय समाज और धर्म की भलाई के लिए होता है। अब यह देखना होगा कि क्या भविष्य में कोई नई व्यवस्था बनाकर इस अनुष्ठान को फिर से शुरू किया जाता है या नहीं।

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