गुस्सा तो बहुत आता था..." पीएम मोदी ने बताया कैसे खुद को किया कंट्रोल...शेयर किया दिलचस्प किस्सा
Pariksha Pe Charcha 2025:नेतृत्व केवल कुर्सी, ओहदे या बड़ी-बड़ी बातें करने से नहीं आता, बल्कि यह अपनी जिम्मेदारियों को निभाने और दूसरों के लिए उदाहरण बनने से हासिल होता है। जब कोई सच्चा लीडर बनता है, तो लोग खुद-ब-खुद उसे फॉलो करने लगते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की सुंदर नर्सरी में आयोजित 'परीक्षा पे चर्चा' के दौरान छात्रों के साथ संवाद करते हुए लीडरशिप का यही मूल मंत्र दिया।
यह पीएम मोदी की आठवीं 'परीक्षा पे चर्चा' थी, जहां उन्होंने छात्रों से उनकी शैक्षणिक और व्यक्तिगत चुनौतियों पर चर्चा की। इसी दौरान एक छात्र ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि वह जब क्लास मॉनिटर होता है, (Pariksha Pe Charcha 2025)तो कई बार सहपाठी उसकी बात नहीं मानते, ऐसे में उसे क्या करना चाहिए? इस पर पीएम मोदी ने रोचक जवाब दिया, "लीडरशिप का मतलब सिर्फ कुर्ता-पायजामा पहनकर भाषण देना नहीं होता, बल्कि खुद को उदाहरण बनाना होता है।"
उन्होंने समझाया कि सच्चा नेता वही होता है जो पहले खुद बदलता है और फिर अपने कार्यों से दूसरों को प्रेरित करता है। अगर मॉनिटर होमवर्क कर चुका है, तो वह बाकी छात्रों को प्रोत्साहित कर सकता है। पीएम मोदी ने नेतृत्व के महत्व और सम्मान अर्जित करने के तरीकों पर प्रेरक विचार साझा किए, जो न केवल छात्रों बल्कि हर किसी के लिए सीखने योग्य हैं।
पीएम मोदी की 'परीक्षा पे चर्चा'... लीडरशिप, बचपन के किस्से और सफलता के मंत्र
गेहूं-बाजरे की रोटी... गूगल गुरु
प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से बातचीत के दौरान एक रोचक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया, "मैं एक परिवार में भोजन के लिए जाया करता था। वहां का एक बच्चा कभी गेहूं की रोटी नहीं खाता था क्योंकि किसी ने उसे कह दिया था कि गेहूं-बाजरे की रोटी खाने से वह काला हो जाएगा।" इसी संदर्भ में पीएम मोदी ने छात्रों से मजाकिया लहजे में पूछा, "कहीं आप लोग भी गूगल गुरु से नहीं पूछ लेते कि आज क्या खाना है?"
'जहां कम, वहां हम' का मंत्र
पीएम मोदी ने लीडरशिप पर चर्चा करते हुए कहा कि नेतृत्व थोपा नहीं जाता, बल्कि यह व्यवहार से अर्जित किया जाता है। उन्होंने समझाया कि अगर आप किसी की बीमारी में हालचाल पूछते हैं, किसी को सहयोग करते हैं, तो वह स्वाभाविक रूप से आपको लीडर मान लेता है। सच्चा नेतृत्व धैर्य और टीम वर्क पर निर्भर करता है। अगर किसी को कोई कार्य दिया गया है और उसने उसे पूरा नहीं किया, तो उस पर नाराज होने के बजाय उसका कारण जानना चाहिए। उन्होंने कहा, "'जहां कम, वहां हम' का मंत्र अपनाइए।"
मेरी हैंडराइटिंग अच्छी नहीं थी...
प्रधानमंत्री ने अपनी स्कूली यादें साझा करते हुए कहा, "मेरी हैंडराइटिंग अच्छी नहीं थी। मेरे टीचर इस पर बहुत मेहनत करते थे, लेकिन शायद उनकी खुद की हैंडराइटिंग सुधर गई होगी, मेरी नहीं हुई!" उन्होंने इस उदाहरण से यह संदेश दिया कि टीचर्स को बच्चों की प्रतिभा पहचाननी चाहिए और उन्हें उनके रुचि के अनुसार आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए।
"बिहार का लड़का हो.... राजनीति का सवाल न हो...
बिहार के छात्र विराज ने जब पीएम मोदी से लीडरशिप से जुड़ा सवाल पूछा, तो पीएम ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "बिहार का लड़का हो और राजनीति का सवाल न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता!" उन्होंने बिहार के लोगों की तेजस्विता और राजनीति में उनकी गहरी रुचि की तारीफ करते हुए लीडरशिप के महत्व को समझाया।
पीएम मोदी की इस चर्चा में छात्रों को न केवल परीक्षा से जुड़ी बातें सीखने को मिलीं, बल्कि लीडरशिप, धैर्य, टीम वर्क और खुद को उदाहरण बनाने के महत्वपूर्ण मंत्र भी मिले।
यह भी पढ़ें: Chandrababu Naidu On BJP Victory: "देश के आत्मसम्मान की जीत", दिल्ली चुनाव नतीजों पर बोले चंद्रबाबू नायडू