Opposition vs Govt: वक्फ बिल पर विवाद जारी, जेपीसी रिपोर्ट से असहमति नोट हटाने पर संसद में तकरार
Opposition vs Govt: वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट से असहमति नोट हटाने के आरोपों को लेकर गुरुवार को राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ। विपक्ष ने सरकार पर जानबूझकर असहमति नोट हटाने का आरोप लगाया और विरोध स्वरूप सदन से वाकआउट कर दिया।
इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस भी हुई। बाद में, लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी को असहमति नोट जोड़ने से कोई आपत्ति नहीं है।
खड़गे ने सरकार पर लगाया ‘तानाशाही’ का आरोप
इससे पहले, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर विपक्ष की राय को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "जेपीसी रिपोर्ट में कई सदस्यों ने असहमति नोट दिए थे, लेकिन उन्हें हटा दिया गया। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। ऐसे किसी भी रिपोर्ट को हम स्वीकार नहीं करेंगे, जिसमें असहमति के विचार शामिल न किए गए हों। अगर यह रिपोर्ट बिना असहमति नोट के पेश की गई है, तो इसे वापस भेजकर दोबारा पेश किया जाना चाहिए।"
‘सभी असहमति नोट रिपोर्ट में शामिल’ - किरण रिजिजू
हालांकि, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट से कोई भी असहमति नोट नहीं हटाया गया है। उन्होंने कहा, "विपक्ष के आरोप निराधार हैं। रिपोर्ट में कुछ भी नहीं हटाया गया है। जेपीसी की सभी कार्यवाही नियमों के तहत हुई और सभी असहमति नोट रिपोर्ट के परिशिष्ट (एपेंडिक्स) में जोड़े गए हैं। विपक्ष बेवजह इस मुद्दे को तूल दे रहा है और सदन को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।"
जेपीसी रिपोर्ट पेश करने के दौरान जब बीजेपी सांसद मेधा विश्राम कुलकर्णी ने इसे सदन में रखा, तो विपक्ष ने जोरदार विरोध किया। हंगामे के बीच, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसदों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा, "राष्ट्रपति का अपमान न करें।" लेकिन हंगामा जारी रहने के कारण सदन को 11:20 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
असदुद्दीन ओवैसी और अन्य सांसदों ने उठाई आपत्ति
इस बीच, एआईएमआईएम प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी जेपीसी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "हमने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर इस मामले को उठाया। स्पीकर ने हमारी बात सुनी और सचिवालय को नियमों के तहत हमारे असहमति नोट को रिपोर्ट में शामिल करने का निर्देश दिया। बाद में, हमने संसदीय पुस्तकालय में बैठकर अधिकांश हटाए गए अंशों को रिपोर्ट में शामिल किया, जिसे लोकसभा में 2 बजे पेश किया जाएगा। हालांकि, कुछ पैराग्राफ जो समिति के कामकाज पर सवाल उठा रहे थे, उन्हें नियमों के तहत शामिल नहीं किया गया।"
शिवसेना (यूबीटी) सांसद की आपत्ति, ‘धारा-दर-धारा चर्चा नहीं हुई’
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने भी जेपीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि विधेयक पर धारा-दर-धारा चर्चा नहीं की गई। उन्होंने कहा, "जेपीसी को बिल की प्रत्येक धारा पर चर्चा करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जेपीसी अध्यक्ष को यह जवाब देना चाहिए कि क्या गवाहों द्वारा दिए गए उत्तर समिति के सदस्यों को सौंपे गए थे? नहीं, ऐसा नहीं हुआ। इसलिए हमने असहमति नोट दिया था, जिसे रिपोर्ट से हटा दिया गया। हम इस रिपोर्ट का विरोध करते हैं।"
बीजेपी सांसद ने किया बचाव, ‘वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन जरूरी’
वहीं, बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने रिपोर्ट का बचाव करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन जरूरी है। उन्होंने कहा, "देशभर में फैली वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन होना चाहिए ताकि देखरेख करने वालों की आय बढ़े और इन संपत्तियों पर अतिक्रमण रोका जा सके। पीएम मोदी की हर कार्रवाई पर विपक्ष बेवजह नकारात्मक प्रतिक्रिया देता है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।"
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