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One Nation One Election: 'एक देश, एक चुनाव' पर बनी सहमति, शीतकालीन सत्र में पेश होगा बिल

One Nation One Election: केंद्र सरकार ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को इस पर मुहर लगा दी। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दे दी है और सरकार मौजूदा...
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One Nation One Election: केंद्र सरकार ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को इस पर मुहर लगा दी। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दे दी है और सरकार मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में इस पर एक व्यापक विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है।

लगातार चुनाव विकास में बाधा: शिवराज सिंह चौहान

बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का समर्थन करते हुए कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चौहान ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। एक गौरवशाली, समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण हो रहा है। जल्द ही भारत विश्व गुरु बनेगा।"

चौहान ने कहा, “लेकिन भारत के विकास में एक बाधा है, और वह है बार-बार होने वाले चुनाव। देश में किसी भी समय चुनाव की तैयारी चलती रहती है। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही विधानसभा चुनाव शुरू हो जाते हैं।"

‘एक देश, एक चुनाव’ की दिशा में सरकार का बड़ा कदम

सितंबर में सरकार ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के तहत लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश को मंजूरी दी थी। इस योजना के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान की है।

रिपोर्ट के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने से समय और संसाधनों की बचत होगी, और प्रशासनिक कार्यों में बाधा कम होगी। सरकार इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है।

जल्द पेश होगा विधेयक
9 दिसंबर को आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक लाने की योजना बना रही है। सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से देश में राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक सुगमता आएगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से चुनाव प्रक्रिया में सुधार होगा और सरकार को विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का अधिक समय मिलेगा। हालांकि, विपक्ष ने इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं और इसे भारतीय लोकतंत्र की विविधता के खिलाफ बताया है।

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