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New Delhi Station Stampede: महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं का दर्दनाक अंत, दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची अफरा-तफरी

New Delhi Station Stampede: शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भीषण भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई।
10:43 AM Feb 16, 2025 IST | Ritu Shaw

New Delhi Station Stampede: शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भीषण भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना उन यात्रियों के लिए एक बुरा सपना बन गई, जो महाकुंभ जाने के लिए ट्रेन पकड़ने आए थे। स्टेशन पर सीढ़ियों का अवरुद्ध होना, प्लेटफॉर्म और एस्केलेटर के पास अत्यधिक भीड़, दम घुटने से बेहाल यात्री और एक-दूसरे को कुचलते हुए भागते लोग—इन भयावह दृश्यों ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।

मदद आने में हुई देरी

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्टेशन पर यह भगदड़ रात करीब 9:30-9:45 बजे के बीच हुई। इस दौरान हजारों यात्री स्टेशन के अंदर फंसे रहे। प्रशासन और बचाव दल को मौके पर पहुंचने में 30-45 मिनट का समय लग गया। तब तक कई यात्रियों की जान जा चुकी थी, जबकि अन्य घायल लोग अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

शवों के बीच अपनों की तलाश

टिकरी बॉर्डर के एक फैक्ट्री मजदूर मनोज शाह ने अपनी 11 वर्षीय बेटी सुरुचि शाह और अपने ससुराल पक्ष के दो अन्य सदस्यों को इस हादसे में खो दिया। उन्होंने रोते हुए बताया, "मेरे साले का फोन आया और उन्होंने कहा 'भगदड़ हो रही है भैया, सब अलग हो गए हैं, बचाओ।' मैं तुरंत दौड़ पड़ा, लेकिन जब तक वहां पहुंचा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मेरी बेटी सुरुचि कुचलकर मर गई। वह केवल पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी...।"

परिवारों की पीड़ा

दिल्ली की रहने वाली 30 वर्षीय नर्स संगीता मलिक भी अपने दोस्तों के साथ महाकुंभ जाने की योजना बना रही थीं। उनकी मौसी कविता सहगल ने कहा, "वह आज मेरे घर आई थी। मैंने उसके लिए साग-सब्जी बनाई थी, जो उसे बहुत पसंद थी। लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं रही। हमें एक अनजान व्यक्ति ने फोन किया, जिसने उसकी लाश के पास से फोन उठाया था।" उनकी यह बात सुनकर अस्पताल में मौजूद कई अन्य लोग भी भावुक हो गए।

ट्रेन में देरी और सुरक्षा की कमी बनी कारण

यात्रियों का कहना है कि ट्रेन स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी की देरी के कारण भीड़ बेकाबू हो गई। कई परिवारों ने आरोप लगाया कि स्टेशन पर ट्रेन के शेड्यूल में अचानक बदलाव से स्थिति और खराब हो गई।

कपासहेड़ा के निवासी पप्पू कुमार ने बताया कि उनकी सास पूनम गुप्ता (50) इस हादसे का शिकार हो गईं। वह अपने परिवार के साथ बिहार के सोनपुर लौट रही थीं। उन्होंने कहा, "स्टेशन पर सांस लेने की भी जगह नहीं थी। हम बेंच के पास बैठे थे, लेकिन अचानक से भीड़ ने हमें घेर लिया और भगदड़ मच गई। 45 मिनट तक कोई मदद नहीं आई। तब तक मेरी सास की मौत हो चुकी थी।"

महाकुंभ जाने की इच्छा अधूरी रह गई

दिल्ली के प्रेम नगर के गिरी परिवार के 37 सदस्य महाकुंभ जाने वाले थे। हालांकि, केवल छह लोगों को तत्काल टिकट मिल पाया था। उनमें से 50 वर्षीय सीलम देवी की भी मौत हो गई। उनका बेटा अमन गिरी (25) बच तो गया, लेकिन उसने बताया कि कैसे भगदड़ के दौरान उसकी मां की मौत हो गई और उसके पिता उमेश गिरी बुरी तरह घायल हो गए। अमन की बुआ मीना देवी ने रोते हुए कहा, "हम सब महाकुंभ जाना चाहते थे। सीलम दीदी अपनी बेटी की शादी के लिए प्रार्थना करना चाहती थीं, लेकिन अब वह नहीं रहीं। सरकार इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है?"

शवों की तलाश में परिजन बेहाल

पूनम रोहिल्ला के परिवार ने अस्पताल प्रशासन और पुलिस से नाराजगी जताई। उनके बेटे ने कहा, "रात 10 बजे से हम मां को ढूंढ रहे थे। अब 1 बजे हमें पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है। आखिर सरकार कब जागेगी? क्या इंसानों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं?"

प्रशासन की चुप्पी और पीड़ितों का गुस्सा

लोक नायक अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि 15 से अधिक शव अस्पताल में हैं, जिन्हें अन्य शवगृहों में भेजा जा रहा है। इस घटना के बाद रेलवे और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। पीड़ित परिवारों का कहना है कि अगर सुरक्षा के बेहतर इंतजाम होते और ट्रेनें समय पर चलतीं, तो शायद यह हादसा टल सकता था।

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