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Nep Tamilnadu: तीन-भाषा नीति पर बवाल, अभिनेत्री से नेता बनीं रंजना नचियार ने BJP छोड़ी

Nep Tamilnadu: राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर जारी तीखी बहस के बीच, अभिनेत्री से नेता बनीं रंजना नचियार ने BJP की से इस्तीफा दे दिया।
05:44 PM Feb 25, 2025 IST | Ritu Shaw

Nep Tamilnadu: तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लेकर जारी तीखी बहस के बीच, अभिनेत्री से नेता बनीं रंजना नचियार ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसके पीछे तीन-भाषा नीति को थोपे जाने के प्रयासों को कारण बताया।

रंजना नचियार ने अपने एक्स (X) अकाउंट पर इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि बीजेपी द्वारा "तीन-भाषा नीति लागू करने की कोशिश, द्रविड़ विचारधारा के प्रति नफरत और तमिलनाडु की अनदेखी" उनके पार्टी छोड़ने के प्रमुख कारण रहे। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र की समृद्धि के लिए तमिलनाडु का विकास जरूरी है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में उनके विकास के लिए अनुकूल वातावरण नहीं दिया गया। इस वजह से उन्हें पार्टी छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा।

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का NEP पर रुख

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पहले ही साफ कर चुके हैं कि उनकी सरकार किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू नहीं करेगी, भले ही केंद्र सरकार इसके बदले 10,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश करे। उन्होंने इस नीति को 'पिछड़ापन लाने वाली' करार दिया और आरोप लगाया कि यह तमिलनाडु में हिंदी थोपने का प्रयास है।

स्टालिन ने कहा, "हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम भाषा थोपने के खिलाफ मजबूती से खड़े रहेंगे। हम सिर्फ हिंदी थोपने का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि कई अन्य कारणों से भी इस नीति का विरोध कर रहे हैं। यह नीति छात्रों को स्कूलों से दूर ले जाएगी।"

AIADMK का DMK सरकार पर हमला

इस बीच, अन्नाद्रमुक (AIADMK) के सांसद एम थंबीदुरई ने DMK सरकार पर आरोप लगाया कि वह आगामी चुनावों को देखते हुए भाषा के मुद्दे को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। थंबीदुरई ने कहा, "वर्तमान राज्य सरकार कई CBSE स्कूलों को अनुमति दे रही है। यदि स्टालिन वास्तव में भाषा की समस्या का समाधान चाहते हैं, तो उन्हें तमिलनाडु से सभी CBSE स्कूलों को वापस लेने के लिए जोर देना चाहिए। CBSE स्कूलों में सभी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, और इन्हीं के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी आती है। यदि सरकार केवल दो-भाषा प्रणाली चाहती है, तो वह इसे लागू क्यों नहीं कर रही?"

उन्होंने आगे कहा कि DMK इस मुद्दे को चुनावी फायदे के लिए भुना रही है। उन्होंने कहा, "चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए यह भाषा विवाद एक बार फिर उभर आया है।"

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