Nagpur Violence: औरंगजेब मजार विवाद के बाद नागपुर में भड़की हिंसा, कई इलाकों में कर्फ्यू
Nagpur Violence: नागपुर में हुई हिंसा को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें भीड़ ने निशाना बनाकर कुछ घरों और प्रतिष्ठानों पर हमला किया। फडणवीस ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि इस घटना में 33 पुलिसकर्मी, जिनमें तीन डीसीपी भी शामिल हैं, घायल हुए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी पर तो कुल्हाड़ी से हमला किया गया।
फडणवीस ने बताया, "एक समूह ने योजनाबद्ध तरीके से पुलिस पर हमला किया, जिसका मकसद नागपुर के कुछ हिस्सों में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना था। 33 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिसमें तीन डीसीपी शामिल हैं। इसके अलावा पांच नागरिक भी घायल हुए हैं, जिनमें से एक आईसीयू में भर्ती है।" मुख्यमंत्री ने कहा, "हम किसी को भी बख्शेंगे नहीं, चाहे उसका धार्मिक पहचान कुछ भी हो। जिसने भी पुलिसकर्मियों पर हमला किया है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
पत्थरों से भरी ट्रॉली और हथियार
फडणवीस ने दावा किया कि हिंसा में शामिल भीड़ के पास पहले से हथियार और पत्थरों से भरी ट्रॉली मौजूद थी, जो इस बात का संकेत है कि यह सब पूर्व नियोजित था। सोमवार को औरंगजेब की मजार के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान नागपुर में हिंसा भड़क उठी। इस दौरान कई घरों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई। हालात को काबू में करने के लिए नागपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
'छावा' फिल्म का जिक्र और शांति की अपील
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि हाल ही में रिलीज हुई 'छावा' फिल्म ने लोगों में औरंगजेब के खिलाफ गुस्सा बढ़ाया है, लेकिन फिर भी सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। कोई भी अगर दंगा करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो।"
विशेष समुदाय को निशाना बनाने की साजिश
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है कि कहीं यह पहले से रची गई साजिश तो नहीं। शिंदे ने कहा, "इस घटना में चार डीसीपी स्तर के अधिकारी घायल हुए हैं। पुलिस ने बताया कि कई लोग बाहर से आए थे और पेट्रोल बम भी फेंके गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस पर भी हमला हुआ। इस मामले में सख्त कार्रवाई होगी।"
शिंदे ने कहा कि कोई भी व्यक्ति दो समुदायों के बीच हिंसा भड़काने की कोशिश न करे। उन्होंने औरंगजेब पर निशाना साधते हुए कहा, "औरंगजेब कौन है? क्या वह कोई संत था? उसने कोई अच्छा काम किया है? इतिहास पढ़ना चाहिए और 'छावा' फिल्म देखनी चाहिए। औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को 40 दिन तक यातनाएं दी थीं। औरंगजेब महाराष्ट्र पर कलंक है। प्रदर्शनकारी छत्रपति संभाजी महाराज के स्वाभिमान के लिए विरोध कर रहे हैं।"
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