Mumbai Ferry Accident: मुंबई फेरी हादसे में बढ़ा मौत का आंकड़ा, नौसेना और MMB की जांच जारी
Mumbai Ferry Accident: मुंबई के तट पर 18 दिसंबर को पर्यटक फेरी और भारतीय नौसेना की स्पीडबोट के बीच हुए हादसे में लापता 7 वर्षीय बच्चे ज़ोहान पठान का शव शनिवार को बरामद हुआ। ज़ोहान की मां भी इस दुर्घटना में जान गंवा चुकी हैं। गोवा के निवासी ज़ोहान और उनकी मां उन 15 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने इस हादसे में अपनी जान गंवाई।
घटना का विवरण
यह हादसा तब हुआ जब नौसेना की तेज़ रफ्तार नाव, जो इंजन परीक्षण के लिए इस्तेमाल हो रही थी, नियंत्रण खो बैठी और पर्यटक फेरी 'नील कमल' से टकरा गई। फेरी पर 100 से अधिक लोग सवार थे, जो गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफेंटा आइलैंड जा रहे थे।
घटनास्थल पर भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने बड़े पैमाने पर खोज और बचाव अभियान चलाया। हादसे के समय, नौसेना की नाव पर 6 लोग थे, जिनमें से 2 ही जीवित बच पाए। फेरी पर सवार 113 लोगों में से 98 को बचा लिया गया, जिनमें दो घायल भी शामिल हैं।
लाइसेंस रद्द और जांच जारी
महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (MMB) ने जांच के दौरान पाया कि फेरी पर अधिकतम क्षमता से अधिक लोग सवार थे। फेरी को 84 यात्रियों और 6 चालक दल के सदस्यों को ले जाने की अनुमति थी, लेकिन इसमें 100 से अधिक लोग सवार थे। इस कारण फेरी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया और जहाज अधिनियम का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की गई।
नौसेना के स्पीडबोट चालक के खिलाफ कोलाबा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत लापरवाही से मौत, दूसरों की सुरक्षा को खतरे में डालना और अनुचित तरीके से जहाज चलाने के आरोप लगाए गए हैं।
CISF के जवानों की साहसिक कार्रवाई
हादसे के बाद, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवान अमोल सावंत और उनकी टीम ने 3-4 किलोमीटर दूर से पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। सावंत ने बताया कि दुर्घटनास्थल पर लोगों में इतना भय था कि वे अपने बच्चों को समुद्र में फेंकने की सोच रहे थे। CISF जवानों ने तुरंत स्थिति संभाली और 50-60 लोगों को बचाने में सफलता पाई।
CISF के सब-इंस्पेक्टर खेइओका सेमा ने कहा कि उन्होंने कई पीड़ितों को CPR देकर उनकी जान बचाई। बचाव अभियान में एक विदेशी दंपति ने भी मदद की और कई लोगों को पुनर्जीवित करने में सहयोग किया। CISF के प्रवक्ता और DIG दीपक वर्मा ने कहा कि उनके जवान समुद्री अभियानों और उभयचर बचाव तकनीकों में प्रशिक्षित हैं। "उनकी तत्परता और समर्पण पर हमें गर्व है।"
यह हादसा मुंबई के समुद्री इतिहास में सबसे भीषण दुर्घटनाओं में से एक है, और इसके कारणों की जांच के लिए नौसेना और MMB द्वारा अलग-अलग जांच जारी है।
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