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Mahakumbh Hathyogi Baba: ना काटते हैं बाल और ना ही नाखून, कौन होते हैं भगवान शिव के तगड़े उपासक हठ योगी बाबा?

Mahakumbh Hathyogi Baba: महाकुंभ 2025 का भव्य शुभारंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के अवसर पर हो चुका है। इस महापर्व का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन हुआ। महाकुंभ एक ऐसा दिव्य आयोजन है, जहां लाखों श्रद्धालु...
03:23 PM Jan 14, 2025 IST | Ritu Shaw

Mahakumbh Hathyogi Baba: महाकुंभ 2025 का भव्य शुभारंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के अवसर पर हो चुका है। इस महापर्व का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन हुआ। महाकुंभ एक ऐसा दिव्य आयोजन है, जहां लाखों श्रद्धालु और साधु-संत विभिन्न मठों और परंपराओं से जुड़कर अपनी आस्था की डुबकी लगाते हैं। नागा साधु, अघोरी और अन्य संतों के साथ हठ योगी बाबा भी इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। हठ योगियों की उपस्थिति और उनके विशेष नियम-कायदे श्रद्धालुओं के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे हैं।

हठ योगी बाबा कौन होते हैं?

हठ योगी साधु-संतों का एक विशेष वर्ग है, जो कठिन तप और साधना के लिए जाना जाता है। इन संतों का जीवन सख्त नियमों और कठोर तपस्या पर आधारित होता है। हठ योगियों की साधना में उनके शरीर, मन और आत्मा को भगवान शिव के चरणों में अर्पित करना मुख्य उद्देश्य होता है। हठ योगियों की कठिन तपस्या उन्हें अन्य साधुओं से अलग करती है।

हठ योगी अपने बाल और नाखून क्यों नहीं काटते?

हठ योगियों के जीवन के कुछ विशिष्ट नियम हैं, जिनमें बाल और नाखून न काटने का नियम प्रमुख है। इसके पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं:

1. भगवान शिव के प्रति श्रद्धा

हठ योगी भगवान शिव के परम भक्त होते हैं और उन्हीं की साधना में लीन रहते हैं। शिवजी की जटाओं को प्रतीक मानते हुए हठ योगी अपने बालों को भी जटाओं में परिवर्तित कर लेते हैं। इन जटाओं को काटना भगवान शिव का अपमान माना जाता है। महाकुंभ में संगम स्नान के दौरान इन जटाओं को स्नान कराकर दिव्यता का अनुभव किया जाता है।

2. शारीरिक मोह से मुक्ति

हठ योगी नाखून भी नहीं काटते, क्योंकि नाखून काटना शारीरिक मोह का प्रतीक है। हठ योगियों का उद्देश्य हर प्रकार के शारीरिक मोह और आत्म-आसक्ति से मुक्त होना होता है। शरीर की देखभाल को वे तुच्छ मानते हैं और इस प्रकार अपने शरीर को केवल एक साधन के रूप में स्वीकार करते हैं।

3. कठिन साधना और नियम पालन

हठ योग का मार्ग अत्यंत कठिन और अनुशासनपूर्ण है। यह मार्ग साधक को आत्म-नियंत्रण और कठोर साधना की दिशा में प्रेरित करता है। बाल और नाखून न काटने का नियम भी इसी साधना का एक हिस्सा है।

महाकुंभ में हठ योगियों की उपस्थिति का महत्व

महाकुंभ में हठ योगी बाबा केवल अपने हठ को प्रदर्शित करने के लिए नहीं आते, बल्कि प्रयागराज संगम में स्नान कर अपनी साधना को पूर्णता की ओर ले जाने के लिए पधारते हैं। उनका मानना है कि इस स्नान के बाद वे स्वयं भगवान शिव के सान्निध्य को प्राप्त करते हैं और दिव्य शक्तियों से समृद्ध हो जाते हैं।

आध्यात्मिकता और आस्था का संगम

महाकुंभ का पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है। इसमें भाग लेकर हर व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिकता और धर्म के पथ पर अग्रसर कर सकता है। हठ योगियों का जीवन और उनकी साधना इस बात का प्रतीक है कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए समर्पण, अनुशासन और तपस्या अनिवार्य हैं।

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