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Madhavi Raje Scindia: आखिर क्यों राजनीति से हो गया था माधवी राजे का मोह भंग, जानें राजमाता के अनसुने किस्से

Madhavi Raje Scindia: ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां 'राजमाता' माधवी राजे सिंधिया का लंबी बीमारी के कारण 15 मई, 2024 को सुबह नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। माधवी राजे मध्य प्रदेश स्थित ग्वालियर चंबल अंचल...
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Madhavi Raje Scindia: ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां 'राजमाता' माधवी राजे सिंधिया का लंबी बीमारी के कारण 15 मई, 2024 को सुबह नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। माधवी राजे मध्य प्रदेश स्थित ग्वालियर चंबल अंचल के शाही परिवार की राजमाता थीं। कई लोग नहीं जानते होंगे लेकिन आज हम आपको बताएंगे राजमाता से जुड़े कुछ अनसुने किस्से।

ग्वालियर के शाही घराने का हिस्सा रहीं माधवी राजे का एक और नाम था, जो शायद ही आपको पता होगा। बता दें कि शादी से पहले उनकी पहचान किरण राज लक्ष्मी के नाम से थी, जिसे मराठा परंपरा के अनुसार बदलकर माधवी राजे सिंधिया (Madhavi Raje Scindia) किया गया। माधवी राजे का नाता नेपाल के शाही राणा राजवंश परिवार से है। इस राजवंश के प्रमुख जुद्ध शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

कैसे नेपाल का दिल ग्वालियर में धड़का

किसी ने ठीक ही कहा है कि 'रब ने बना दी जोड़ी'। दरअसल, नेपाल की सुंदर राजकुमारी किरण राज लक्ष्मी देवी की शादी का प्रस्ताव जब सिंधिया राजघराने में आया उस वक्त तक तस्वीरों का चलन शुरू हो चुका था। जैसे ही राजकुमारी की तस्वीर ग्वालियर के महाराज रहे माधवराव सिंधिया को दिखाई, वैसे ही माधवराव को किरण पसंद आ गईं। बताया जाता है तस्वीर देखने के बाद माधव राव ने सामने से उन्हें देखने की इच्छा जाहिर की, लेकिन संभव न हो सका, हालांकि यह रिश्ता पक्का हो गया।

Madhavi Raje ScindiaGwalior scindhia dynast

और बन गईं सिंधिया राजघराने का हिस्सा

नेपाल के राजपरिवार से सिंधिया परिवार को 60 के दशक में विवाह का प्रस्‍ताव आया था। इसके बाद 6 मई 1966 में माधवी राजे (Madhavi Raje Scindia) का सिंधिया राजघराने के महाराजा माधवराव सिंधिया से विवाह हो गया और इस तरह वह ग्वालियर के शाही परिवार का हिस्सा बन गईं।

Madhavi Raje Scindia

बारातियों के लिए चलाई गई स्पेशल ट्रेन

माधवराव सिंधिया और माधवी राजे सिंधिया (Madhavi Raje Scindia) की शादी दिल्‍ली में आयोजित हुई थी, जिसमें विदेश से भी मेहमान आए थे। ऐसे में बारात ले जाने के लिए विशेष ट्रेन का इंतजाम किया गया। यह ट्रेन ग्वालियर से बारात लेकर दिल्ली पहुंची थी। दिलचस्प बात यह है कि 1966 में उनकी शादी के लिए ग्वालियर से दिल्ली तक बारात ले जाने के लिए एक विशेष ट्रेन का इंतजाम किया गया था। इतना ही नहीं जब नया जोड़ा ग्वालियर पहुंचा तो उनका फूलों से भव्य स्वागत किया गया और महल की ओर जाने वाले पूरे रास्ते को सजाया गया।

Madhavi Raje Scindia

इसलिए राजनीति से हुआ मोह भंग

माधवराव सिंधिया के 2001 में निधन के बाद माधवी राजे (Madhavi Raje Scindia) के राजनीति में आने के कयास लगाए जा रहे थे। ऐसा माना जा रहा था कि साल 2004 के आम लोकसभा चुनाव में वह ग्वालियर लोकसभा से चुनाव लड़ सकती हैं।

गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया और ग्वालियर से माधवी राजे (Madhavi Raje Scindia) के चुनावी रण में उतरने का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हालांकि, माधवराव के आकस्मिक निधन से माहौल भी गमगीन था लेकिन माधवी राजे ने खुद को राजनीति से दूर ही रखा।

उनका राजनीति और ग्वालियर से मोह भंग हो गया। उन्होंने खुद को परिवार, बहू, बेटे और नाती-पोतों तक सीमित कर लिया। साथ ही पति माधवराव सिंधिया की राजनीतिक विरासत बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए छोड़ दी।

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