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Kolkata Election: TMC का कांग्रेस से किनारा, ममता बोलीं 'बंगाल में उसका कोई वजूद नहीं'

Kolkata Election: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन को खारिज कर दिया है।
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Kolkata Election: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस को दिल्ली और हरियाणा विधानसभा चुनावों में विपक्ष की असफलता का दोषी ठहराया। ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायकों और मंत्रियों से कहा कि TMC अकेले ही 2026 का चुनाव लड़ेगी और दो-तिहाई बहुमत से जीत दर्ज करेगी।

संजय राउत ने दी प्रतिक्रिया

हालांकि, शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ममता बनर्जी को कांग्रेस के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि TMC आमतौर पर लोकसभा या विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ती रही है, लेकिन कांग्रेस विपक्षी गठबंधन INDIA का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए संवाद बनाए रखना जरूरी है।

बैठक में शामिल एक मंत्री के अनुसार, ममता बनर्जी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की मदद नहीं की और कांग्रेस ने दिल्ली में AAP का समर्थन नहीं किया। उन्होंने इसे अस्वीकार्य बताया और यह भी कहा कि कांग्रेस का बंगाल में कोई अस्तित्व नहीं है।

गुटबाजी बर्दाश्त नहीं

इसके अलावा, ममता बनर्जी ने पार्टी के भीतर किसी भी गुटबाजी या आंतरिक कलह को बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी। उन्होंने अपने नेताओं को आगाह किया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव जीतने के लिए मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों के नाम जोड़ने की कोशिश कर सकती है।

बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने अपने नेताओं को चौंकाते हुए कहा कि उनका कोई पारिवारिक सदस्य नहीं है और उनकी पार्टी तथा राज्य की जनता ही उनका परिवार है। TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को पार्टी में उनका दूसरा प्रमुख माना जाता है, लेकिन ममता बनर्जी के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है।

टीएमसी में फेरबदल

TMC प्रमुख ने पार्टी संगठन में फेरबदल की घोषणा भी की। उन्होंने राज्य से बूथ स्तर तक विभिन्न इकाइयों और शाखाओं को पुनर्गठित करने का निर्णय लिया है। साथ ही, उन्होंने विधायकों से कहा कि वे नए पदाधिकारियों के चयन के लिए 25 फरवरी तक वरिष्ठ नेता अरूप बिस्वास को तीन-तीन नाम सुझाएं। इस फैसले से पश्चिम बंगाल की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं, क्योंकि आगामी चुनावों के लिए विभिन्न दलों की रणनीतियों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

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