कोलकाता की ट्रेनी महिला डॉक्टर को मिला इंसाफ, संजय रॉय को दोषी करार...मिलेगी सजा-ए-मौत!
Kolkata Woman Doctor Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत ने पूरे देश को झकझोर दिया था। 8-9 अगस्त 2024 की रात घटी इस दर्दनाक घटना में एक निर्दोष डॉक्टर की जिंदगी बेरहमी से छीन ली गई थी। करीब 162 दिनों के लंबे इंतजार के बाद सियालदह कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया है, जो घटना के बाद से ही न्याय से बचने की कोशिश कर रहा था।(Kolkata Woman Doctor Murder CaseKolkata Rape Murder Case) दोषी करार दिए जाने के बाद भी उसने खुद को निर्दोष बताते हुए जज के सामने कहा, "मुझे झूठे मामले में फंसाया गया है।" हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि आरोपी के खिलाफ बीएनएस की धारा 64, 66 और 103/1 के तहत पर्याप्त सबूत हैं। अब सोमवार को सजा का ऐलान होगा, जो पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्याय का पल लेकर आएगा।
57 दिन तक चली मामले की सुनवाई
इस मामले की सुनवाई सियालदह कोर्ट में 57 दिनों तक चली। शुरुआत में कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी, लेकिन हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने 13 अगस्त को जांच अपने हाथ में ली और तेजी से कार्रवाई करते हुए 120 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए। दो महीने तक कैमरा ट्रायल चला, जिसमें एलवीए टेस्ट, डीएनए साक्ष्य, और विसरा रिपोर्ट जैसे वैज्ञानिक प्रमाण पेश किए गए।
पीड़िता ने संघर्ष कर बचाने की कोशिश की
सीबीआई के मुताबिक, महिला डॉक्टर ने खुद को बचाने के लिए काफी संघर्ष किया। इस दौरान उसने आरोपी संजय रॉय के शरीर पर पांच बार चोटें पहुंचाईं, जिनके निशान मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट पाए गए। डीएनए साक्ष्य और लार के नमूने आरोपी के साथ मेल खाते हैं। सीबीआई ने इसे बर्बरता और अमानवीयता की पराकाष्ठा करार दिया।
गला घोंटने से हुई मौत
जांच के दौरान बहु-संस्थागत मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि पीड़िता की मौत गला घोंटने से हुई थी। संघर्ष के दौरान पीड़िता का चश्मा टूट गया और उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए। उसकी आंख, मुंह और गुप्तांगों से लगातार खून बह रहा था। गर्दन और होठों पर गहरे घाव के निशान स्पष्ट थे।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत... संज्ञान
इस अमानवीय घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए डॉक्टरों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। इसके बाद देश भर में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्कफोर्स का गठन किया गया। यह घटना डॉक्टरों के काम करने के माहौल और सुरक्षा व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा करती है।
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